रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके के लोगों का कहना है कि भारतीय सेना द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स से उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
गौरतलब है कि मणिपुर में जातीय दंगों के बाद हालात ऐसे हो गए हैं कि कुछ पर्यवेक्षक इसे गृहयुद्ध की आशंका बता रहे हैं. मेथई और कुकी जनजातियों के बीच संघर्ष के परिणामस्वरूप अब तक कम से कम सौ लोग मारे गए हैं और चार सौ से अधिक घायल हुए हैं।
जानकार सूत्रों ने बताया है कि इलाके के 60,000 से ज्यादा आम नागरिकों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है और उन्हें 350 शिविरों में रखा गया है. सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए क्षेत्र में 40,000 सैनिकों, सुरक्षा बलों और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है।
बताया जा रहा है कि कम से कम दो सौ चर्च और सत्रह मंदिर तोड़े गए हैं. गुस्साए आदिवासियों ने राज्य के मंत्रियों, सांसदों और स्थानीय अधिकारियों के आवासों में भी आग लगा दी है।
मणिपुर के सोलह जिलों में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं और रात का कर्फ्यू अभी भी लागू है।