AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
शनिवार

3 जून 2023

6:49:20 pm
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सीआईए प्रमुख किन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गोपनीय ढंग से चीन गये?

समाचार पत्र फाइनेन्शियल टाइम्स ने सूचना दी है कि अमेरिका की खुफिया सेवा के प्रमुख विलियम बन्ज़ पिछले महीने चीन की यात्रा पर गये थे।

इस समाचार पत्र ने लिखा है कि बाइडेन सरकार के सबसे भरोसेमंद अधिकारी की चीन यात्रा इस बात की सूचक है कि अमेरिका चीन के साथ अपने संबंधों से चिंतित है और उसे वह सामान्य बनाना चाहता है।

इसी प्रकार अभी हाल में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सेल्वेन ने वियना में चीन की सत्ताधारी पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी से काफी लंबी बातचीत की थी। अमेरिकी अधिकारियों की चीनी अधिकारियों से बातचीत इस बात की सूचक है कि अमेरिका चीन से अपने संबंधों को सामान्य बनाने के लिए प्रयासरत है। जारी साल के फरवरी महीने में अमेरिकी सेना ने चीन के जासूसी बैलून को उत्तरी अमेरिका में मार गिराया था जिसके बाद से अमेरिका और चीन के संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया।

हालांकि जानकार हल्कों का मानना है कि चीन और अमेरिका के संबंध आमतौर पर कभी अच्छे नहीं रहे हैं बस अंतर केवल इतना है कि जब कोई घटना हो जाती है तो दोनों देशों के बीच मौजूद संबंधों में तनाव दिखाई देने लगते हैं। कई विषयों में चीन और अमेरिका के एक दूसरे से भिन्न दृष्टिकोण हैं और यही भिन्न दृष्टिकोण दोनों देशों के संबंधों में तनाव का मुख्य कारण है। मिसाल के तौर पर अमेरिका ताइवान को हथियार बेचता है और अमेरिकी अधिकारी चीन की इच्छा की अनदेखी करके ताइवान की यात्रा करते हैं। अभी कुछ समय पहले नेन्सी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर गयीं थीं जबकि इस यात्रा से पहले ही चीन ने अपनी आपत्ति जता दी थी पर नेन्सी पेलीसी ताइवान की यात्रा पर गयीं और चीन इतना क्रोधित हुआ कि उसने ताइवान के आसपास युद्धक विमानों और दूसरे सैन्य हथियारों को तैनात कर दिया।

चीन का मानना है कि वन चाइना नीति के अंतर्गत ताइवान चीन का अटूट अंग है और अगर किसी देश के अधिकारी ताइवान की यात्रा करते हैं तो इससे चीन से अलग होने की भावना को बल मिलेगा और यह वह चीज़ है जिसे चीन बिल्कुल पसंद नहीं करता है।

चीन और अमेरिका में मतभेद का एक कारण दक्षिणी चीन सागर में अमेरिकी जलपोतों की आवाजाही है। चीन दक्षिणी चीन सागर और उसके आसपास के जलक्षेत्रों में अमेरिकी जलपोतों की उपस्थिति को बिल्कुल पसंद नहीं करता और इस चीज़ को वह अपनी सुरक्षा के लिए खतरा समझता है परंतु अमेरिका कभी भी उसकी इन आपत्तियों पर ध्यान नहीं देता है और उसके युद्धपोत दक्षिणी चीन सागर में आवाजाही करते रहते हैं।

बहरहाल अमेरिका और चीन के संबंधों में बर्फ जमने के बहुत से दूसरे कारण हैं और अमेरिकी अधिकारी इस बर्फ को पिघलाने की जुगत हैं विशेषकर इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है। क्योंकि अमेरिका को यह भय सता रहा है कि अगर चीन ने रूस का साथ देना आरंभ कर दिया तो वह यूक्रेन का जो सैन्य समर्थन कर रहा है और रूस को अधिक से अधिक नुकसान व आघात पहुंचाना चाहता है तो उसकी इस नीति पर कुठाराघात लग जायेगा। MM

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