AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
बुधवार

15 मार्च 2023

3:53:21 pm
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ईरान, सऊदी अरब एग्रीमेंट में अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट देते हुए कहा कि इस समझौते में शामिल सभी पक्षों ने आपकी सहमति से फैसला किया कि इस समझौते और उस से जुडी मीटिंग में इंग्लिश भाषा की कोई जगह न हो और सभी दस्तावेज़ अरबिक, पर्शियन और चाइनीज़ में लिखे जाएं. चीन , ईरान और सऊदी अरब के बीच बातचीत और समझौते से इंग्लिश ज़बान को एकदम किनारे लगा देना इस इलाक़े में चीन के बढ़ते प्रभाव को बताने के लिए काफी है।

बीजिंग की पहल पर सऊदी अरब और ईरान के बीच हुए समझौते के बारे में जैसे जैसे विस्तार से जानकारी सामने आ रही है अमेरिका और उसके घटक देशों का ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा है।

अमेरिका जहाँ मीडिल ईस्ट में, खास कर ईरान और सऊदी अरब के बीच हुए समझौते के बाद चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंताओं में डूबा हुआ है वहीँ वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट ने वाशिंगटन और उसके घटक देशों की चिंताए और बढ़ा दी हैं।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट देते हुए कहा कि इस समझौते में शामिल सभी पक्षों ने आपकी सहमति से फैसला किया कि इस समझौते और उस से जुडी मीटिंग में इंग्लिश भाषा की कोई जगह न हो और सभी दस्तावेज़ अरबिक, पर्शियन और चाइनीज़ में लिखे जाएं. चीन , ईरान और सऊदी अरब के बीच बातचीत और समझौते से इंग्लिश ज़बान को एकदम किनारे लगा देना इस इलाक़े में चीन के बढ़ते प्रभाव को बताने के लिए काफी है।

मीडिल ईस्ट में चीन के बढ़ते प्रभाव का एक और नमूना बयान करते हुए वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा कि शी जिनपिंग ने अपनी सऊदी यात्रा के दौरान पेशकश की थी कि इस साल खाड़ी सहयोग परिषद् के देशों और ईरान के बीच बीजिंग में एक बैठक की जाए, यह बैठक ईरान और सऊदी विदेश मंत्रियों के बीच मुलाक़ात के बाद दोनों देशों की ओर से तय किये गए वक़्त पर होगी ।

वहीँ अरब लीग के शिखर सम्मलेन के बारे में बात करते हुए रायुल यौम ने अपने राजनैतिक एवं जानकार सूत्रों के हवाले से कहा कि सऊदी अरब अरब शिखर सम्मलेन को कामयाब बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहा है. इस बार इस बैठक में सीरिया के हिस्सा लेने की खबर भी है. सऊदी अरब नहीं चाहता कि कोई देश अरब शिखर सम्मलेन का बॉयकॉट करे।

सूत्रों के अनुसार सऊदी अरब इस बैठक में ईरान और तुर्की को मेहमान के रूप में हिस्सा लेने की दावत दे सकता है सऊदी अरब चाहता है कि वह खुद को मिडल ईस्ट की शांति और स्थिरता के लिए एक अहम् प्लेटफार्म के रूप में पेश करे।

अरब लीग और GCC की बैठक में क्या होता है कौन आता है यह आने वाला वक़्त बताएगा लेकिन एक बात कंफर्म है कि रियाज़ तेहरान रिश्तों की बहाली ने मीडिल ईस्ट को सांप्रदायिक और जातीय संघर्ष से बचा लिया है जिसका सीधा फायदा सिर्फ इस्राईल को होता।