यूरोपीय सांसदों का कहना है कि सऊदी अरब की महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल से आज़ाद होने के बाद भी कठोन प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।
120 से अधिक यूरोपीय सासंदों ने "अन्तर्राष्टीय महिला मानवाधिकार रक्षक दिवस" के अवसर पर सऊदी अरब की महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के प्रति अपने समर्थन की घोषणा की।
एक सौ बीस से अधिक इन यूरोपीय सांसदों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर करके सऊदी अरब की उन सभी महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बिना शर्त के आज़ाद करने की मांग की है जिनको रेयाज़ ने मानवाधिकार गतिविधियों के कारण बंद कर रखा है। इस पत्र में इन महिला कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न की निंदा की गई है।
यूरोपीय सांसदों के इस पत्र में यह भी कहा गया है कि लगातार अन्तर्राष्ट्रीय दबाव के कारण कुछ महिला कार्यकर्ताओं को स्वतंत्र तो किया गया है किंतु स्वतंत्रता के बाद उनपर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों की भर्त्सना की गई है। पत्र के अनुसार इस काम से उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है।
घरेलू हिंसा भी सऊदी महिलाओं की एक अन्य गंभीर समस्या है। पुरुषों द्वारा मारपीट और हिंसा का शिकार होने के बाद महिलाओं का कोई पूछने वाला नहीं है।
याद रहे कि मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सऊदी शासन हर साल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक सुधारों की मांग करने वाले सैकड़ों लोगों को जेलों में ठूसता है।