ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़्ची ने जापान से आग्रह किया है कि वह अतीत के परमाणु दुर्घटनाओं के अनुभव साझा करे और हाल के ज़ायोनी एवं अमेरिकी हमलों से गंभीर क्षति झेलने वाली ईरानी परमाणु सुविधाओं को सुरक्षित बनाने में सहायता प्रदान करे।
ईरानी विदेश मंत्री सय्यद अब्बास अराक़्ची ने जापान से अपील की है कि वह ईरान के परमाणु केंद्रों की तकनीकी सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। जापानी समाचार एजेंसी को दिए गए विशेष साक्षात्कार में अराक़्ची ने कहा कि ईरानी परमाणु केंद्रों पर हमलों के परिणामस्वरूप गंभीर क्षति हुई है, जो उनके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय कानून का शायद सबसे बड़ा उल्लंघन है, क्योंकि ये केंद्र अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में थे।
उन्होंने कहा कि ईरान अमेरिका के साथ वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन केवल तभी जब परिणाम न्यायसंगत और संतुलित हो। अराक़्ची के अनुसार वार्ता का भविष्य अमेरिका के रवैये पर निर्भर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह रोकने की माँग अस्वीकार्य है।
अराक़्ची ने कहा कि जापान के पास परमाणु केंद्रों की सुरक्षा बेहतर बनाने का व्यापक अनुभव है, जो ईरान के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिकी परमाणु हमलों और 2011 के फुकुशिमा दुर्घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि जापान ने चिकित्सा, पर्यावरणीय और तकनीकी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
ईरानी विदेश मंत्री ने जोर दिया कि जापान के साथ सहयोग केवल सुरक्षा के तकनीकी पहलुओं पर होगा, जबकि निरीक्षण अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का दायरा है। उन्होंने कहा कि ईरान को ऐसे खतरों का सामना है जो पहले कभी नहीं हुए, जिनमें परमाणु सुविधाओं की संरचनाओं को क्षति और विकिरण के रिसाव की आशंकाएँ शामिल हैं।
7 दिसंबर 2025 - 12:00
समाचार कोड: 1758571
अराक़्ची ने कहा कि जापान के पास परमाणु केंद्रों की सुरक्षा बेहतर बनाने का व्यापक अनुभव है, जो ईरान के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिकी परमाणु हमलों और 2011 के फुकुशिमा दुर्घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि जापान ने चिकित्सा, पर्यावरणीय और तकनीकी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
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