7 दिसंबर 2025 - 11:44
ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट ने ईरान की अपील स्वीकारी, संपत्ति पर राहत की संभावना 

पिछले वर्ष लंदन की एक निचली अदालत ने कहा था कि यह हस्तांतरण कम कीमत पर किया गया और इसका उद्देश्य लेनदारों के दावों से बचना था, जिसे बाद में अदालत ने भी बरकरार रखा।

ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट ने लंदन स्थित ईरानी पेंशन फंड की इमारत के मामले में नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी की अपील स्वीकार करते हुए मामले की स्वयं सुनवाई का ऐलान किया है। इस फैसले से संबंधित कीमती संपत्ति की जब्ती रुकने की संभावना पैदा हो गई है।
ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार इस मुकदमे को 'अपील ऐज़ ऑफ़ राइट' के रूप में दर्ज किया गया है, जिसके तहत बिना किसी अतिरिक्त अनुमति के मामले की सुनवाई संभव है। यह अपील संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी क्रिसेंट गैस कॉर्पोरेशन से जुड़े लंबे समय से चले आ रहे गैस विवाद के संदर्भ में दायर की गई थी।
स्पष्ट हो कि इससे पहले ब्रिटेन की अदालत ने क्रिसेंट के पक्ष में फैसला देते हुए लंदन की विक्टोरिया स्ट्रीट पर स्थित इस इमारत को जब्त करने का रास्ता साफ कर दिया था। क्रिसेंट कंपनी का तर्क है कि  ईरानियन नेशनल ऑयल कंपनी ने यह इमारत संपत्ति बचाने के लिए पेंशन फंड को हस्तांतरित की, ताकि अंतर्राष्ट्रीय  फैसले के क्रियान्वयन से बचा जा सके।
पिछले वर्ष लंदन की एक निचली अदालत ने कहा था कि यह हस्तांतरण कम कीमत पर किया गया और इसका उद्देश्य लेनदारों के दावों से बचना था, जिसे बाद में अदालत ने भी बरकरार रखा। हालांकि, अदालत के न्यायाधीशों में मतभेद सामने आने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
अपील की स्वीकृति के बाद अब लंदन में स्थित इस इमारत से जुड़ी कोई भी अंतिम कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर होगी। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक हालांकि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही लंबी हो सकती है, लेकिन यही एकमात्र संस्था है जो निचली अदालतों के फैसले को रद्द कर सकती है।

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