माहे मोहर्रम के शुरू होते ही दुनियाभर में मुसलमानों में रसूले अकरम के नवासे के ग़म में शोक का माहौल है। लखनऊ के इमाम बाड़ा गुफरान मआब में पहली मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना सय्यद कल्बे जवाद नकवी ने कुरान और हदीस के साथ-साथ इतिहास से भी इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत पर रोने और मातम करने कि अज़मत पर रोशनी डाली।
उन्होंने कहा कि हज़रत आदम (अ.स.) अपने शहीद बेटे की क़ब्र पर जाकर रोते थे और कातिल पर लानत भेजते थे। हम भी आदम की उसी सुन्नत पर अमल करते हैं। हम इमाम के साथ हुए अन्याय और उन पर हुए ज़ुल्मो अत्याचार पर रोते हैं और उनके कातिल पर लानत भेजते हैं।
मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि कर्बला के लोग कभी कायर नहीं हो सकते। वे हमेशा जुल्म और अत्याचारी के खिलाफ खड़े होते हैं। वे कभी झूठी ताकतों के सामने सर नहीं झुकाते। कल का यजीद इमाम हुसैन से बैअत मांग रहा था, आज का यजीद उनकी औलाद से बैअत मांग रहा है। न तो कल का यजीद अपने मकसद में कामयाब हुआ और न ही आज का यजीद कामयाब हुआ। मौलाना ने कहा कि हर दौर में यजीदियत का हश्र अपमानजनक विफलता ही रहा है।
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