قال الامام المجتبی علیه السلام:
تُجهَلُ النِّعَمُ ما أقامَت، فإذا وَلَّت عُرِفَ
بحارالأنوار: ۷۸ / ۱۱۵/۱۲
.इमाम हसन अ.स
नेमतें जब तक हों उस व्यक्त तक मालूम नहीं होती ( उनकी क़द्र नहीं होती ) और जब वह छिन जाती हैं तो उनकी क़द्र मालूम होती है ।
और जब वह छिन जाती हैं तो उनकी क़द्र मालूम होती है ।
قال الامام المجتبی علیه السلام:
تُجهَلُ النِّعَمُ ما أقامَت، فإذا وَلَّت عُرِفَ
بحارالأنوار: ۷۸ / ۱۱۵/۱۲
.इमाम हसन अ.स
नेमतें जब तक हों उस व्यक्त तक मालूम नहीं होती ( उनकी क़द्र नहीं होती ) और जब वह छिन जाती हैं तो उनकी क़द्र मालूम होती है ।
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