नई दिल्ली, 10 फरवरी 2025 – आशूरा फाउंडेशन और विलायत टीवी के सहयोग से आयोजित होने वाले "अना मिन हुसैन फेस्टिवल" का समापन, नई दिल्ली के ईरान कल्चर हाउस में पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ हुआ। इस खास प्रोग्राम की शुरुआत क़ारी जनाब फ़रमान अली ने कुरआन की तिलावत से की। प्रोग्राम की होस्टिंग डॉ. मौलाना मेहदी बाक़िर खान ने की।
विलायत टीवी के डायरेक्टर मौलाना मोहम्मद सक़लैन बाक़री ने बताया कि इमाम हुसैन के पैग़ाम को मुख़्तलिफ़ ज़बानों में पहुँचाना और इमाम हुसैन अ. के पैग़ाम और उनकी सीरत को अलग-अलग कम्युनिटीज़ और रिलिजन्स में इंट्रोड्यूस कराना, नए लिखने वालों और आर्टिस्ट्स को पहचानना और उनका सपोर्ट करना, इस फेस्टिवल का मेन मक़सद था और इस प्रोग्राम में देशभर से बड़े पैमाने पर लोग शामिल हुए।
आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई के रिप्रेजेंटेटिव हुज्जतुल इस्लाम महदी महदवीपूर ने कहा कि "अना मिन हुसैन" का असली मतलब यही है कि इस्लाम, पैगंबर मुहम्मद स.अ. की मेहनत से फैला और इमाम हुसैन की कुर्बानी से महफ़ूज़ रहा। आशूरा की घटना ने इस्लामिक वैल्यूज़ को एक नई जान दी।
हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद हुसैन मेहदी हुसैनी ने कहा कि अगर दुनिया भर के इमामबाड़ों की सीमाओं को देखा जाए तो यह किसी छोटे देश से भी बड़ा हो क्षेत्रफल हो जाएगा। और अगर इमाम हुसैन अ. के नाम पर होने वाले खर्च का अंदाज़ा लगाया जाए, तो यह कई देशों के बजट से ज़्यादा होगा। इसलिए ज़रूरी है कि इस मैसेज को हर लैंग्वेज में फैलाया जाए, ताकि कुर्बानी का कांसेप्ट हर दिल में बस सके।
हुज्जतुल इस्लाम मौलाना मोहम्मद हसन मारूफ़ी (लंदन) ने कहा कि पहले लंबी महफ़िलों और मजलिसों को अच्छा माना जाता था, लेकिन आज शॉर्ट टाइम में ज़्यादा डीप और फ़ायदेमंद मैसेज देना ज़रूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि ऑडियंस को सही तरीके से सुनने की आदत डालनी चाहिए, ताकि ऐसे इवेंट्स से ज्यादा फायदा हो सके।
ईरान से आए आयतुल्लाह मलिक मोहम्मदी ने ग़दीर और आशूरा के रिलेशन पर रौशनी डालते हुए कहा कि अगर आज इस्लाम ज़िंदा है, तो यह इमाम हुसैन की कुर्बानी का नतीजा है।
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के कल्चरल एडवाइज़र, डॉ. फरीदुद्दीन फरीद अस्र ने कहा कि कर्बला का मैसेज सिर्फ मुस्लिम्स के लिए नहीं, बल्कि पूरी ह्यूमैनिटी के लिए एक गाइडेंस है। इसे ग्लोबल लेवल पर पहुँचाना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि आज के टाइम में मीडिया और रिसर्च के ज़रिए इस मैसेज को ज़्यादा इम्पैक्टफुल तरीके से पेश किया जा सकता है।
इस प्रोग्राम में मशहूर शाएरों ने इमाम हुसैन और उनके मिशन पर खूबसूरत कलाम पेश किए। जिसमें जनाब मुजीब सिद्दीकी और मौलाना साबिर इमरानी शामिल थे।
इस मौके पर हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद हमीदुल हसन ज़ैदी की किताब "सीरत-ए-हुसैनी" का इंट्रोडक्शन भी दिया गया, जिसमें उन्होंने इसकी खास बातें शेयर कीं।
इस फेस्टिवल में कई स्कॉलर्स और रिसर्चर्स को उनके कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल थे:
मौलाना सैयद मोहम्मद जाबिर जौरासी, मौलाना क़ाज़ी मोहम्मद अस्करी, मौलाना शमशाद अहमद छौलसी, मौलाना सैयद हुसैन मेहदी हुसैनी, मौलाना मोहम्मद मोहसिन तक़वी, डॉ. पयाम आज़मी, प्रोफेसर इराक़ रज़ा, सईद ज़ैदपूरी, मौलाना हसनैन अलमास रजैठवी, मौलाना जावेद रज़ा, मौलाना नईम अब्बास नौगांवी, मौलाना मोहम्मद हसन मअरूफ़ी, मौलाना सैयद मोहम्मद ग़ाफ़िर बाक़री..
मौलाना सैयद हमीदुल हसन ज़ैदी और मौलाना साबिर अली इमरानी को कर्बला की ज़ियारत का गिफ्ट दिया गया। इसके अलावा, मौलाना मंज़र सादिक ज़ैदी और मौलाना ग़ुलामुस सय्यदैन हाशिर जौरासी को सम्मानित किया गया।
फेस्टिवल में महिला स्कॉलर्स और लेखकों के योगदान को भी ख़ास तौर से सम्मानित किया गया। जिनमें फ़ज़ीला सबाहत, कनिज़ वासती, ज़ोया फ़ातिमा, फ़िरदौस फ़ातिमा, ऐमन ज़हरा, सानिया ज़हरा, उम्मे ज़हरा, अमरीन ज़हरा,
विलायत टीवी के डायरेक्टर मौलाना सक़लैन बाक़री ने सभी मेहमानों, वक्ताओं, शायरों, ऑर्गेनाइजर्स और सपोर्टर्स का शुक्रिया अदा किया और इस प्रोग्राम की कामयाबी पर खुशी ज़ाहिर की।

