जब दुनिया की बड़ी- बड़ी इकॉनमी वाले देश 2008 की विश्व आर्थिक मंदी के दौरान बर्बाद हो रहे थे, उस समय भारत में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यहाँ की इकॉनमी 7 फीसदी की ग्रोथ रेट से कुलाचे भर रही थी।
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत के मुसलमानों के लिए एक बड़ा काम हुआ, जो हमेशा मनमोहन सिंह के उपलब्धियों के तौर पर याद किया जाता रहेगा। मार्च, 2005 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA)) सरकार के सत्ता मे आने के सिर्फ 6 महीने बाद ही भारत में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक हालत का जायज़ा लेने और उनके हालात में सुधार लाने के लिए उपाय सुझाने के उद्देश्य से सच्चर समिति का गठन किया गया।
समिति ने 30 नवंबर, 2006 को लोकसभा को अपनी 403 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में मुस्लिम समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों को बयान करते हुए देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में उनकी भागीदारी को बेहतर बनाने के तरीके सुझाए गए।
रिपोर्ट में कहा गया था कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रासंगिकता के मामले में मुस्लिम समाज हाशिए पर हैं। इसमें कहा गया था कि उनकी औसत स्थिति देश के पिछड़े और दलित समुदायों के बराबर या उनसे भी बदतर है।