قال رسول الله صلى الله عليه و آله وسلم:
أنّ رجلا سأل النبیّ صلى الله علیه وآله وسلم فقال: « یَا رَسُولَ اللهِ! مَا حَقُّ الْوَالِدِ؟ قَالَ: أَنْ تُطِیعَهُ مَا عَاشَ. فَقِیلَ : مَا حَقُّ الْوَالِدَهِ ؟ فَقَالَ: هَیْهَاتَ هَیْهَاتَ لَوْ أَنَّهُ عَدَدَ رَمْلِ عَالِجٍ وَقَطْرِ الْمَطَرِ أَیَّامَ الدُّنْیَا قَامَ بَیْنَ یَدَیْهَا مَا عَدَلَ ذَلِکَ یَوْمَ حَمَلَتْهُ فِی بَطْنِهَا.
مستدرک الوسائل، ج 15، ص 203
रसूले इस्लाम स.अ.
एक शख्स रसूले इस्लाम की खिदमत मे हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया, या रसूल अल्लाह बाप का हक़ क्या है?
तो आप ने फरमाया, जब तक वह ज़िंदा है उसकी इताअत करो, फिर उसने पूछा, माँ का क्या हक़ है ? तो आप स.अ. ने फरमाया अगर इंसान बयाबान के कंकरों, बारिश के कतरों और दुनिया के दिनों के बराबर भी उसके सामने खड़ा हो और उसकी इताअत करे तो उसने उसके गर्भावस्था के समय का भी हक़ अदा नहीं किया।