5 मई 2020 - 13:49
आयत क्या कहती हैं? ईश्वर भी बुरी बातों से बचने वालों के पिछले पापों को क्षमा कर देता है और उनके कामों को सुधार देता है।

वास्तव में ईश्वर से भय के परिणामों में से एक बुरी बातों से दूरी और सही व सत्य बातों की ओर उन्मुख होना है।

सूरए अहज़ाब की आयत क्रमांक 70 व 71 का अनुवादः

हे ईमान लाने वालो! ईश्वर का डर रखो और सही व ठोस बात किया करो। ताकि वह तुम्हारे कर्मों को सँवार दे और तुम्हारे पापों को क्षमा कर दे। और जो कोई ईश्वर और उसके पैग़म्बर का आज्ञापालन करे, निश्चित रूप से उसने बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है।

 

संक्षिप्त टिप्पणी:

अगर सभी ईमान वाले बात करने में उसके सिद्धांतों व नियमों का पालन करें और निराधार कल्पनाओं और दुर्भावनाओं के आधार पर दूसरों के बारे में फ़ैसला न करें तो समाज, सुधार की ओर बढ़ेगा।

 

इन आयतों से मिलने वाले पाठ:

  1. ईमान के लिए ईश्वर का भय ज़रूरी है और ईश्वर के भय के लिए सही व ठोस बात आवश्यक है।
  2. केवल शब्दों व वाक्यों का सुंदर होना काफ़ी नहीं है बल्कि बात सुंदर और ठोस होनी चाहिए।

  3. अगर मनुष्य अपने सामर्थ्य भर ईश्वरीय भय का पालन करे तो ईश्वर उसकी ग़लतियों को क्षमा कर देता है और उसके मार्ग को सुधार देता है।