मनामा पोस्ट ने लिखा है कि बहरैन के जाने-माने धार्मिक विद्वान शेख ईसा कासिम ने आले-खलीफा शासन द्वारा देश की केंद्रीय नमाज़े जुमा पर प्रतिबंध की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह आले खलीफा- द्वारा इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स. मस्जिद, नमाज़ियों और सबसे बढ़कर अल्लाह के खिलाफ साप्ताहिक युद्ध की तरह है जिसका एकमात्र उद्देश्य ज़ायोनी शासन की सेवा करते हुए नेतन्याहू को खुश करना है।
आयतुल्लाह शैख़ ईसा क़ासिम ने अपने बयान में कहा कि बहरैन में ऐसा कोई सप्ताह नहीं गुजरता है जिसमें आंतरिक मंत्रालय की सेनाएं अल-द्राज़ और उसके आस पास की इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स. मस्जिद की ओर जाने वाली सड़कों को बंद नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि यह नाकेबंदी इसलिए है ताकि ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में इस्लामी दुनिया की कोई भी उभरती आवाज़ न सुनी जाए।