30 अगस्त 2018 - 14:17
ग़दीर ख़ुम क्या है?

ग़दीर ख़ुम वह जगह है जहां पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम को ईश्वर के आदेश से अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।

यह घटना सन 18 ज़िलहिज्जा 10 हिजरी बराबर 19 मार्च 633 ईसवी को घटी।

10 हिजरी पैग़म्बरे इस्लाम का अंतिम हज था और आपने हज शुरु होने से पहले इस्लामी क्षेत्रों में यह एलान करवा दिया था कि इस साल यह आपका अंतिम हज होगा। इस एलान की वजह से 10 हिजरी के हज में मुसलमानों की बड़ी संख्या हज करने के लिए पहुंची।

हज की समाप्ति के बाद लगभग 120000 हाजी पैग़म्बरे इस्लाम के नेतृत्व में मक्का से मदीना की ओर बढ़े। हाजियों का कारवां जब "ग़दीर ख़ुम" नामक स्थान पर पहुंचा तो फ़रिश्ते जिबरईल पैग़म्बरे इस्लाम के पास पवित्र क़ुरआन के पांचवे सूरे "मायदा" की 67 वीं आयत लेकर उतरे, जिसमें ईश्वर कह रहा है "हे पैग़म्बर जो आप पर नाज़िल किया जा चुका है उसे पहुंचा दीजिए, अगर आपने ऐसा न किया तो आपने ईश्वरीय दूत होने का हक़ अदा नहीं किया, ईश्वर आपकी लोगों से रक्षा करेगा, ईश्वर इंकार करने वालों का मार्गदर्शन नहीं करता।"

इस आयत का उतरना था कि पैग़म्बरे इस्लाम ने सभी हाजियों को ग़दीर ख़ुम नामक स्थान पर रुकने का आदेश दिया। वह 18 ज़िलहिज्ज का दिन था।

पैग़म्बरे इस्लाम के आदेश से ऊंट की पीठ पर रखी जाने वाली काठी का मिंबर बना। उस मिंबर पर पैग़म्बरे इस्लाम खड़े हुए और आपने अपने पास हज़रत अली अलैहिस्सलाम को खड़ा किया। पैग़म्बरे इस्लाम ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम की अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त का एलान करने से पहले भाषण दिया और फिर लोगों से पूछा "आलस्तो औला बेकुम मिन अनफ़ुसेकुम?" अर्थात क्या मैं तुम पर तुमसे ज़्यादा अधिकार नहीं रखता।?

इस सवाल पर सभी हाजियों ने कहाः बेशक

इसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम की अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्ति का एलान करते हुए कहाः "मन कुन्तो मौलाहो फ़हाज़ा अलीयुन मौलाह" अर्थात जिस जिस का मैं मौला हूं उस उसके अली मौला हैं।

इसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने एक दुआ की "अल्लाहुम्मा वाले मन वालाह व आदे मन आदाह, वन्सुर मन नसरह, वख़्ज़ुल मन ख़ज़लह" अर्थातः हे ईश्वर तू उसे दोस्त रख जो उसे (अली) को दोस्त रखे तू उसे दुश्मन रख जो उससे (अली) से दुश्मनी करे। जो उसकी मदद करे तू उसकी मदद कर, जो उसे छोड़ दे उसे तू छोड़ दे।

इस एलान के बाद मायदा सूरे की यह आयत उतरी "अलयौमा अकमलतो लकुम दीनुकुम..." आज हमने तुम्हारे धर्म को तुम्हारे लिए पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमतें पूरी कर दीं।

हज़रत अली अलैहिसस्लाम की पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्ति के बाद हाजियों का कारवां ग़दीर ख़ुम नामक स्थान पर तीन दिन रूका और हाजियों ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम की बैअत की अर्थात उनके आज्ञापालन का प्रण लिया। इन प्रण लेने वालों में मुसलमानों के पहले और दूसरे ख़लीफ़ा हज़रत अबू बकर और हज़रत उमर भी थे।

मुसलमानों में ख़ास तौर पर शिया संप्रदाय 18 ज़िलहिज्ज को ईद के रूप में मनाते हैं।

 

ग़दीर ख़ुम कहां है?

ग़दीर ख़ुम मक्का और मदीना के बीच एक क्षेत्र है जो हाजियों के मार्ग पर पड़ता है। यह वह जगह है जहां बारिश का पानी एक तालाब में इकट्ठा होता था। ग़दीर ख़ुम जोहफ़ा से 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जोहफ़ा मक्के से 64 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। जोहफ़ा उन पांच मीक़ात स्थलों में है जहां से हाजी हज का विशेष वस्त्र एहराम पहनते हैं। जोहफ़ा वह जगह है जहां से पैग़म्बरे इस्लाम के समय में मिस्र, इराक़, सीरिया और मदीना के निवासी एक दूसरे से जुदा होते थे। ग़दीर ख़ुम में पानी और कई पुराने पेड़ की वजह से करवां वाले वहां ठहरते थे।