ईरानी असेंबली के राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति आयोग के सदस्य अली खिज़रियान ने ईरानी धरती पर अमेरिकी सैन्य हमले की दुखद घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिकी सरकार द्वारा किया गया यह खुला आक्रमण महज सैन्य कार्रवाई नहीं है, बल्कि ईरानी लोगों पर दबाव बनाने और राष्ट्रीय इच्छाशक्ति को कमजोर करने के लिए बड़े पैमाने पर मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक कार्रवाई है। मीडिया और साइबर उपकरणों पर निर्भर दुश्मन ईरान की सैन्य आक्रामकता को नजरअंदाज कर उसकी प्रतिक्रिया में कमजोरी की भावना पैदा कर रहा है।
खिज़रियान ने कहा कि कानूनी दृष्टिकोण से आक्रमण की प्रकृति बहुत महत्वपूर्ण नहीं है। इस स्तर पर ईरान की परमाणु सुविधाओं के खिलाफ खुले आक्रमण के बाद दुश्मन मीडिया में यह प्रचार कर रहा है कि कोई गंभीर क्षति नहीं हुई है और उसका उद्देश्य ईरान को ऐसे रास्ते पर लाना है, जिस पर न्यूनतम और हल्की प्रतिक्रिया हो। जबकि हम प्रतिक्रिया का मानक खुद तय करेंगे, क्योंकि अगर अहंकारी शक्तियों की योजना के अनुसार प्रतिक्रिया आती है, तो इसका मतलब होगा कि अमेरिका द्वारा बनाए गए मानक को स्वीकार कर लिया गया है और अमेरिका भविष्य में हमला करने से नहीं हिचकिचाएगा, और उस समय ईरान की प्रतिक्रिया भी ज्यादा प्रभावी नहीं होगी।
संसद में तेहरान की जनता के प्रतिनिधि ने जोर देते हुए कहा कि हमले की प्रकृति और इससे होने वाली क्षति अलग बात है। महत्वपूर्ण बात यह है कि दुश्मन ने ईरान से सीमित और अपेक्षित प्रतिक्रिया पाने की योजना बनाई है; इसलिए, मेरा मानना है कि हल्की प्रतिक्रिया का मतलब दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण करना है और इसके परिणामस्वरूप, ईरानी राष्ट्रीय सुरक्षा लंबे समय तक खतरे में रहेगी।
खिज़रियान ने कहा कि यह आक्रमण न केवल तकनीकी सुविधाओं पर बल्कि पूरे ईरानी राष्ट्र पर हमला है। अमेरिका ईरान की राष्ट्रीय इच्छाशक्ति को तोड़ने और यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि ईरानी राष्ट्र का प्रतिरोध निरर्थक होगा, इसलिए एक कमजोर या सीमित प्रतिक्रिया, देश की भविष्य की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होने के अलावा, दुश्मन को आगे की आक्रामकता के लिए हरी झंडी भी देगी।
खिज़रियान ने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान एक निर्णायक और ऐतिहासिक जवाब देकर अमेरिका को साबित कर देगा कि किसी भी आक्रमण का जवाब दुश्मन को कुचलने और पछताने के लिए मजबूर कर देगा।
उन्होंने कहा कि "हाल ही में अमेरिका की आक्रामकता ने उसे युद्ध की ओर धकेल दिया और बातचीत के दरवाज़े बंद कर दिया है। इसलिए, मौजूदा परिस्थितियों में बातचीत या कूटनीति की किसी भी बात का मतलब केवल ईरान की स्थिति को कमज़ोर करना, अपमान स्वीकार करना और दुश्मन के कहे अनुसार काम करना है। इसलिए, जो लोग इन परिस्थितियों में बातचीत की बात करते हैं, वे न केवल देश की सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक नहीं हैं, बल्कि और भी ख़तरे पैदा कर रहे हैं। खिज़रियान ने कहा कि ईरान की प्रतिक्रिया चतुराईपूर्ण, अप्रत्याशित और दुश्मन को शर्मिंदा करने वाली होगी।
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