21 दिसंबर 2024 - 13:17
सलाम का बेहतरीन अंदाज मे जवाब देना

यह आयत मुसलमानों को सामाजिक रिश्तों मे अदब आदाब और उच्च अखलक और मेयार बनाए रखने की सीख देती है, ताकि एक-दूसरे के प्रति दया और सम्मान की भावना विकसित हो।

 

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم

وَإِذَا حُيِّيتُمْ بِتَحِيَّةٍ فَحَيُّوا بِأَحْسَنَ مِنْهَا أَوْ رُدُّوهَا ۗ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ حَسِيبًا. 

النِّسَآء(۸۶)

 

"और जब तुम लोगों को कोई तोहफा ( सलाम) पेश किया जाए तो उस से बेहतर या कम से कम वैसा ही वापस करो कि बेशक अल्लाह हर चीज का हिसाब करने वाला है।" 

यह आयत मुसलमानों को सलाम के जवाब में बेहतर या कम से कम बराबर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रोत्साहित करती है।

इस आयत में, अल्लाह तआला मुसलमानों को सामाजिक अदब सिखा रहा है, खासकर सलाम का जवाब देने के बारे में। इस आयत का मकसद मुसलमानों को एक-दूसरे के साथ अच्छाई और विनम्रता से पेश आने के लिए उभारना है । 

1. अल्लाह तआला का हुक्म है कि सलाम का जवाब बेहतर या बराबर दिया जाए।

2. यह आयत न केवल शारीरिक सलाम पर बल्कि सभी तरह की खुशी और तोहफों का जवाब देने पर भी लागू होती है।

3. अल्लाह वह है जो हर काम का हिसाब लेता है, इसलिए इंसान को अपने कामों में सावधान और एक दूसरे के साथ मेहरबान रहना चाहिए।

परिणाम:

यह आयत मुसलमानों को सामाजिक रिश्तों मे अदब आदाब और उच्च अखलक और मेयार बनाए रखने की सीख देती है, ताकि एक-दूसरे के प्रति दया और सम्मान की भावना विकसित हो।