27 दिसंबर 2025 - 14:46
हिज़्बुल्लाह की दो टूक, सेना से टकराव नहीं चाहते लेकिन अपने रुख पर अटल 

अमेरिका और इस्राईल राजनीतिक दबाव, आर्थिक नाकेबंदी और आंतरिक उकसावे के माध्यम से लेबनानी सेना और प्रतिरोध को आमने-सामने लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन के पास हमले रोकने और इस्राईल को पीछे हटने के लिए मजबूर करने की शक्ति है, लेकिन वह स्वयं इस आक्रमण में बराबर का भागीदार है।

हिज़्बुल्लाह की कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष शेख अली दमूश ने स्पष्ट किया है कि प्रतिरोध किसी भी स्थिति में लेबनानी सेना के विरुद्ध मोर्चा नहीं खोलेगा और न ही देश को आंतरिक संघर्ष में फंसने देगा।
हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ नेता शेख अली दमूश ने सैय्यदा ज़ैनब (अ.स.) मस्जिद में अपने संबोधन में कहा कि वे दावे अब निराधार साबित हो चुके हैं जिनमें कहा गया था कि लीतानी नदी के दक्षिण में लेबनानी सेना की तैनाती से ज़ायोनी आक्रमण रुक जाएगा। उन्होंने कहा कि सेना अपने पहले चरण के कार्यान्वयन के करीब है, लेकिन इसके विपरीत इस्राईल ने अपने आक्रमण को और तेज कर दिया है और वह लेबनानी कार्रवाइयों की कोई परवाह नहीं कर रहा है।
शेख दमूश ने लेबनानी अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि लेबनान ने अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर दीं, लेकिन इस्राईल से उसकी प्रतिबद्धताएं पूरी नहीं कराई गईं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि लेबनान एकतरफा रूप से समझौते का पालन कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक इस्राईल कब्जे वाले इलाकों से पीछे नहीं हटता, हमले बंद नहीं करता और विस्थापित व्यक्तियों की वापसी और पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं देता, तब तक पहला चरण पूरा नहीं माना जा सकता।
उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका और इस्राईल राजनीतिक दबाव, आर्थिक नाकेबंदी और आंतरिक उकसावे के माध्यम से लेबनानी सेना और प्रतिरोध को आमने-सामने लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन के पास हमले रोकने और इस्राईल को पीछे हटने के लिए मजबूर करने की शक्ति है, लेकिन वह स्वयं इस आक्रमण में बराबर का भागीदार है।
 

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