AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

6 जनवरी 2020

6:40:55 pm
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अमरीकी सैनिकों की लाशें वापस जाएंगी, कैसा होगा सुलैमानी का बदला, पहला ईरानी मिसाइल कहां और कब फायर किया जाएगा? युद्ध की आग भड़की

अरब पत्रकार अब्दुलबारी अतवान ने ईरान व अमरीका के तनाव का ज़बरदस्त जायज़ा लिया है। आप भी पढ़ें।

जनरल क़ासिम सुलैमानी और अबू मेहदी अलमुहन्दिस पर अमरीकी हमले और उनकी हत्या के जवाब में पहली गोली तो इराक़ी संसद से चली जिसने अमरीका सहित सभी विदेशी सैनिकों को देश से बाहर निकालने के बिल को भारी बहुमत से पास कर दिया। इसके साथ ही संसद में अमरीका के साथ सुरक्षा समझौते को निरस्त करने, इराक़ी आकाश के प्रयोग की किसी को भी अनुमति न दिये जाने की मांग की गयी। दूसरी गोली ईरान से दागी गयी जब ईरान ने मध्य पूर्व में अमरीका के 35 महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारण किये जिन पर हमला किया जा सकता है इनमें तेलअबीब भी शामिल है।

     ईरान की ओर से सैन्य कार्यवाही की राजनीतिक  भूमिका तैयार की जा रही है क्योंकि ईरान ने सभी अरब मध्यस्थों को खाली हाथ लौटा दिया है और इसी तरह लाल मुहर से बंद अमरीकी पत्रों को भी यह कहते हुए पढ़ने से भी इन्कार कर दिया कि इस अपराध के बाद कूटनीति की कोई गुंजाइश नहीं है।

    दो घटनाएं सामने आयी हैं जिनसे ईरान की ओर से सैन्य कार्यवाही और अमरीका को वह सबक़ सिखाने की बात समझ में आती है जिसे वह भूल नहीं पाएगा।

     पहलीः इराक़ में सायरून धड़े के प्रमुख सैयद मुक़तदा सद्र बयान जारी करके कहा है कि अमरीकी सैनिकों को इराक़ से निकालना ही, अमरीका द्वारा इराक़ की संप्रभुता के उल्लंघन का बदला नहीं होगा इसी लिए यह ज़रूरी है कि अमरीकी सैनिकों को अपमान के साथ इराक़ से निकाला जाए। उन्होंने सशस्त्र संगठनों से अपील की है कि वह संगठित होकर एक संयुक्त सेना का गठन करें जो केवल इराक़ में ही नहीं बल्कि इराक़ से बाहर भी अमरीकी सैनिकों को निशाना बनाए। उन्होंने इराक़ में अमरीकी दूतावास को बंद किये जाने और वाशिंग्टन से संपर्क को अपराध की श्रेणी में रखे जाने की भी मांग की है।

     दूसरी घटना लेबनान के  हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह का भाषण है जिसमें उन्होंने शहीद क़ासिम सुलैमानी की हत्या की अमरीकी को भारी क़ीमत चुकाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अमरीकी सैनिकों को लाशों के रूप में और काली प्लास्टिकों में उनके देश वापस भेजा जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने ज़ोर दिया कि क़ासिम सुलैमानी की हत्या का बदला केवल ईरान की नहीं बल्कि उसके सारे घटक भी लेंगे।

        यह सारी धमकियां और संसदीय फैसले अमरीका के खिलाफ बल्कि उसके घटको के खिलाफ भी मज़बूत मोर्चा बना रहे हैं और इससे निश्चित रूप से इराक़ में अमरीका के सारे हित धरे के धरे रह जाएंगे जिनमें आर्थिक हित ही 6 हज़ार अरब डॉलर हैं।

हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने इलाक़े में अमरीकियों  पर हमले की जगहों और निशानों का भी निर्धारण कर दिया। उन्होंने कहा कि अमरीकी युद्धपोतों को, अमरीकी सैन्य छावनियों को और अमरीकी सैनिकों को सब को निशाना बनाया जाएगा। इन सब की क़ीमत अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प अदा करेंगे जिसका एक परिणाम अमरीका के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में नज़र आंएगे और इसी तरह से मध्य पूर्व भी अमरीका के हाथ से निकल जाएगा।

     अगला चरण बेहद क़रीब है और जिस तरह से सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद मुक़तदा सद्र की ओर से खुल कर धमकी दी गयी है उससे यही लगता है कि अमरीकी हितों पर हमले के लिए विशेष टुकड़ी बनाई जाएगी जो इराक़ व सीरिया के भीतर और बाहर अमरीकियों और अमरीकी हितों पर चुन-चुन कर हमले करेगी यही नहीं यह टुकड़ी, दुनिया के किसी भी हिस्से में अमरीकी दूतावास और सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकती है खास तौर पर इस्राईल में तो निश्चित है क्योंकि ईरानी अधिकारियों ने इस्राईल का नाम भी लिया है। यह चीज़ अमरीकी विदेशमंत्री पोम्पियो की भी समझ में आ रही है इसी लिए उन्होंने टीवी पर अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि अमरीकी सैनिकों को निशाना बनाया जा सकता है।

     जब सैयद हसन नसरुल्लाह यह कहते हैं कि क़ासिम सुलैमानी की हत्या का बदला ईरान अकेले ही नहीं लेगा बल्कि यह उसके सभी क्षेत्रीय घटकों की ज़िम्मेदारी है तो इसका मतलब यह होता है कि अमरीका, इस्राईल और उनके अरब घटकों के विरुद्ध युद्ध कई मोर्चों पर और कई संगठनों द्वारा आरंभ होगा अर्थात, ईरान से आईआरजीसी, लेबनान से हिज़्बुल्लाह, यमन से अंसारुल्लाह, इराक़ से अलहश्दुश्शाबी, और फिलिस्तीन से हमास और इस्लामी जेहाद संगठन हल्ला बोलेंगे और इनके साथ दुनिया के विभिन्न देशों में मौजूद ईरान के समर्थक भी सक्रिय हो जाएंगे।

  इराक़ ताक़तवर नेता, मुक़तदा सद्र का अलहश्दुश्शाबी से जुड़ना और नैतिकता व देश प्रेम पर आधारित यह रुख अपनाना कि अमरीकी सैनिकों को केवल खदेड़ा नहीं जाएगा बल्कि उन्हें मारा भी जाएगा, इराक़ में बहुत बड़ा परिवर्तन है। इस से न केवल यह कि इराक़ में एकता होगी बल्कि इस से इराक़ प्रतिरोध मोर्चे का एक मज़बूत  देश बन जाएगा और इससे इराक़ और क्षेत्र में ताक़त का पूरा समीकरण ही बदल जाएगा।

     अब यह कहा जा सकता है कि इराक़ में प्रभाव के लिए अमरीका व ईरान के मध्य खींचतान ईरान की सफलता के साथ खत्म हो गयी जिसका प्रमाण मुक़तदा सद्र और फिर संसद का रुख है कम से कम पहले चरण में और अगर मूर्खता से भरे अमरीका की ओर से किसी भी प्रकार  का सैनिक या राजनीतिक जवाब आया तो निश्चित रूप से युद्ध की वह आग भड़केगी जो अमरीका और उसके घटकों को भी अपनी लपेट में ले लेगी और फिर यह कोई अनुमान नहीं  लगा पाएगा कि यह  आग कब बुझेगी।

     सुलैमानी की हत्या से मध्य पूर्व और उसमें अमरीकी हित अधिक सुरक्षा नहीं हुए हैं जैसा कि अमरीकी उपराष्ट्रपति कह रहे हैं बल्कि मध्य पूर्व और अमरीकी हितों के लिए खतरा बढ़ गया है। युद्ध की आग अगर भड़की तो यह इलाक़े में अंतिम युद्ध होगा और अमरीका और उसके घटक उसका ईंधन होंगे। आदमी सम्मान से जिये नहीं तो सम्मान से मर जाए लेकिन अमरीकी अपमान जारी रहता है इस लिए अब उसे जारी नहीं रहना चाहिए, यह  क्षेत्र के सभी सम्मानीय लोगों के दिल की आवाज़ है, शंखनाद बस होने ही वाला है।