यह ऐसा वीर था, जिसने दोस्त तो दोस्त दुश्मनों के दिलों में भी अपने लिए सम्मान जगाया था, यहां तक कि अमरीका और इस्राईल के जनरल और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी उनका एहतराम से नाम लेते थे। यही वजह है कि उनकी मौत के बाद जहां इराक़, ईरान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा समेत दुनिया भर के कई देशों में उनकी याद में लोगों ने सड़कों पर निकलकर जुलूस निकाले हैं और शोक सभाएं आयोजित की हैं, वहीं ख़ुद अमरीका में लोगों ने हाथों में जनरल सुलेमानी की तस्वीरें लेकर अपने ही राष्ट्रपति ट्रम्प के उन्हें शहीद करने के फ़ैसले की कड़ी निंदा की है।
जनरल सुलेमानी की लोकप्रियता का राज़ भी यही है। उन्होंने एक देश, एक इलाक़े के लोगों की नहीं, बल्कि दुनिया के उन सभी लोगों की तरफ़ से संघर्ष किया जो इस दुनिया में शांति चाहते हैं, उन्होंने आतंकवाद व हिंसा की पीड़ा से दुनिया को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी, इसीलिए जब दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ने उनकी जान ली तो उस की पीड़ा पुरी दुनिया के लोगों ने महसूस की। यही वजह है कि अमरीकी हस्तियां ग़मज़दा जनरल सुलेमानी के परिवार और ईरानी राष्ट्र से माफ़ी मांगती नज़र आती हैं, तो स्पेन का एक नामी फ़ोटोग्राफ़र, दाइश से छुटकारे के लिए उनका शुक्रिया करता नज़र आता है, और लोग यह कहते नज़र आते हैं कि हम भी अमरीका में रहते हैं लेकिन हमारा ट्रम्प वाले अमरीका से कोई संबंध नहीं।
किसी एक जनरल से लोगों का इतना लगाव और दिल की गहराईयों से मोहब्बत किसी चमत्कार से कम नहीं है, इसलिए कि दुनिया में जनरलों की पहचान कठोर प्रवृत्ति, तुग़लक़ी फ़रमान और तानाशाही वाले अंदाज़ से होती है।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर स्थित पंजेतन सेंटर में बड़ी संख्या में लोग जनरल सुलेमानी और उनके साथियों की शहादत का मातम मनाने के लिए एकत्रित हुए और उन्होंने अपने हीरो शहीदों को बेहतरीन अंदाज़ में श्रद्धांजलि अपर्ति की।
इस मजलिस को भारतीय मूल के शिया वरिष्ठ धर्मगुरु मौलाना अबुल क़ासिम रिज़वी और अन्य कई विशिष्ट हस्तियों ने संबोधित किया और अमरीका के सरकारी आतंकवाद की कड़ी निंदा की।
मौलाना ने ईरानी राष्ट्र और दुनिया भर में उनके चाहने वालों को संवेदना प्रकट करते हुए जनरल सुलेमानी को आज का मालिके अशतर बताया।
यज़ीदे वक़्त ने हमला शदीद कर डाला
अली का मालिके अशतर शहीद कर डाला
ग़ौरतलब है कि मालिके अशतर मानव इतिहास के सबसे महान योद्धा और पैग़म्बरे इस्लाम के दामाद हज़रत अली (अ) के सेनापति थे।
उन्होंने कहा कि इस शेर की शहादत से आज हर आंख नम है, सिवाए उन आतंकवादियों के जिन्हें नजरल सुलेमानी के ज़िंदा रहते हुए रातों को नींद नहीं आती थी।