एक दिन उनके दिमाग़ में ख़याल आया कि वह जिस डिटेंशन सैंटर में काम कर रहे हैं, एक दिन हज़ारों लोगों के लिए जेल का काम करेगा।
अली का कहना था, "आज मैं यहां काम कर रहा हूं। कल, यहीं मेरे बहनोई बंद होंगे। जिसके बाद मेरी बहन का घर ही उजड़ जाएगा।"
अली के बहनोई उन 19 लाख लोगों में से एक हैं, जिनका नाम पिछले साल नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस (NRC) में शामिल नहीं था। अब उन्हें गोलपारा जैसे ही किसी डिटेंशन सैंटर में बंद कर दिया जाएगा और उनका पूरा जीवन डिटेंशन सैंटर की दीवारों के पीछे ही गुज़रेगा।
3 लाख वर्ग फ़ुट या 2.8 हेक्टेयर में बनने वाले इस डिटेंशन सैंटर में 3,000 से अधिक लोगों को बंद करके रखा जा सकेगा।
डिटेंशन सैंटर एक दूर दराज़ इलाक़े में स्थित है और इसके एक ओर से एक सड़क होकर निकलती है, जो "भूतों की पहाड़ी" तक जाती है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि शताब्दियों से इस पहाड़ी पर भूतों का राज है और किसी भी इंसान को वहां से गुज़रने की अनुमति नहीं है।
ग़ुलाम नबी का कहना थाः मैं समझता हूं, यही स्थिति यहां भी होगी। जो शख़्स भी इस डिटेंशन सैंटर में जाएगा, वह फिर कभी वापस लौटकर नहीं आएगा।
डिटेंशन सैंटर की ऊंची ऊंची दीवारों की तरफ़ इशारा करके नबी ने पूछाः क्या यही इंयानियत है कि किसी शख़्स को बाक़ी लोगों से, उसके परिवार से और उसके समाज से अलग-थलग कर दिया जाएगा और उसे बड़ी बड़ी दीवारों के पीछे हमेशा के लिए धकेल दिया जाए।
पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग अलग ब्लॉक बनाए गए हैं, जिन्हें 6 फ़ुट ऊंची एक रंगीन दीवार से अलग किया गया है। पूरे कम्पाउंड के चारो ओर दो दीवारें हैं, भीतर की ओर 20 फ़ुट ऊंची दीवार है, बाहर की साइड दूसरी दीवार है, जिसकी ऊंचाई 6 फ़ुट है।
डिटेंशन सैंटर में बंद लोगों की 24 घंटे निगरानी के लिए 6 टॉवर बनाए गए हैं, जिन पर 100 मीटर ऊंची हाई लाइट लगाई गई हैं।
प्रोजैक्ट मैनेजर ने अल-जज़ीरा से बात करते हुए बताया कि यह केन्द्रीय सरकार का प्रोजैक्ट है और इसे दिसम्बर 2019 तक बनकर तैयार होना था, लेकिन अब यह अप्रैल 2020 तक बनकर तैयार हो सकेगा।
पूरे भारत में इसी तरह के कई डिटेंशन सैंटर या तो बन रहे हैं या बनकर तैयार हो चुके हैं। केवल असम में पहले से ही 6 डिटेंशन सैंटर मौजूद हैं, जहां एनआरसी में नाम नहीं आने वाले लोगों को बंद करके रखा गया है।
2008 से चल रहे इन डिटेंशन सैंटरों में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा यहां बंद कई लोगों ने आत्महत्या भी की है।
22 दिसम्बर को कर्नाटक में एक डिटेंशन सैंटर का उद्घाटन हो चुका है।
पिछले साल 29 मई को गोवा में पहले डिटेंशन सैंटर का उद्घाटन किया गया था, जबकि राजस्थान की सैंट्रल जेल के अंदर ही एक डिटेंशन सैंटर बनाया गया है।