सूरए ताहा की आयत क्रमांक 90 और 91 का अनुवादः
और निश्चित रूप से हारून इससे पहले उनसे कह चुके थे कि हे मेरी जाति (के लोगो)! इस (बछड़े) के माध्यम से तुम्हारी परीक्षा ली गई है और निसंदेह तुम्हारा पालनहार अत्यंत क्षमाशील है तो मेरा अनुसरण करो और मेरा आज्ञापालन करो। (किंतु) बनी इस्राईल ने कहा कि जब तक मूसा लौटकर हमारे पास न आ जाएं तब तक हम इसी पद्धति (मूर्तिपूजा) पर बाक़ी रहेंगे।
संक्षिप्त टिप्पणी:
तौरैत लेने के लिए हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के तूर पर्वत पर जाने और अपनी जाति के लोगों में उनकी अनुपस्थिति के दौरान सामेरी नामक एक पथभ्रष्ट व्यक्ति ने अधिकांश लोगों को सत्य के मार्ग व एकेश्वरवाद से विचलित कर दिया तथा उनके बीच मूर्तिपूजा को प्रचलित कर दिया।
इन आयतों से मिलने वाले पाठ:
-
सभी ईमान वालों की परीक्षा ली जाती है ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि वे वास्तविक ईश्वर पर कितना ईमान रखते हैं और भ्रष्ट विचारों व आस्थाओं के मुक़ाबले में अपने विश्वासों पर किस सीमा तक दृढ़ता से डटे रहते हैं।
-
परीक्षाओं व संकटों के अवसर पर ईश्वर के पवित्र बंदों का अनुसरण, मनुष्य को पथभ्रष्टता के ख़तरे से सुरक्षित रखता है।