हालांकि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ख़ास सलाहकार सऊद अल-क़हतानी को अदालत ने बाइज़्ज़त बरी कर दिया है, जिन्हें इस हत्या का मुख्य साज़िशकर्ता माना जा रहा था।
तुर्की और अमरीका के सूत्रों का कहना है कि क्राउन प्रिंस बिन सलमान ने ख़ाशुक़जी की हत्या का आदेश दिया था, जिस पर क़हतानी की निगरानी में अमल किया गया।
सुबूतों के अभाव के कारण, इस्तांबुल स्थित सऊदी कांसुलेट के तत्कालीन डायरक्टर जनरल और ख़ुफ़िया एजेंसी के पूर्व उप प्रमुख अहमद अल-असीरी को भी रिहा कर दिया गया है।
2 अक्तूबर 2018 को जमाल ख़ाशुक़जी इस्तांबुल में सऊदी अरब कांसुलेट गए थे, लेकिन फिर वह वहां से ज़िंदा वापस नहीं लौटे, बल्कि सऊदी अधिकारी उनकी लाश के टुकड़े टुकड़े करके बैग में भरकर अपने साथ ले गए थे।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे एक अपराधिक हत्या क़रार देते हुए सऊदी अरब को इसके लिए ज़िम्मेदार क़रार दिया था।
संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत एगनेस कालमार्ड ने कहा था कि इस बात के पुख़्ता सुबूत हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस बिन सलमान समेत कई वरिष्ठ अधिकारी इस हत्या में शामिल थे।
हालांकि सऊदी अधिकारियों ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए दावा किया था कि क्राउन प्रिंस को इस हत्या के बारे में पूर्व जानकारी नहीं थी, बल्कि उन्होंने असीरी और क़हतानी को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था।