AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
गुरुवार

12 दिसंबर 2019

1:05:20 pm
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फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद में सऊदी अरब की फ़ज़ीहत

सऊदी अरब की राजधानी रियाज़ में आयोजित होने वाले फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के शिखर सम्मेलन में सऊदी अरब की बड़ी किरकिरी हुई और अगली बैठक का मेज़बान तक निर्धारित न हो सका।

बुधवार को फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद का शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ जिसके लिए सऊदी अरब ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ क्षेत्रीय सहमति बनाने का लक्ष्य रखा था जिसमें वह बुरी तरह विफल हो गया। सऊदी अरब के शासक ने इस सम्मेलन में ईरान के ख़िलाफ़ अपने निराधार दावे दोहरा कर तनाव फैलाने की अपनी नीति दोहराई। सऊदी शासक सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ ने फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के चालीसवें शिखर सम्मेलन में, जिसमें इस परिषद के छः में से तीन देशों के प्रमुख उपस्थित नहीं थे, दावा किया कि परिषद के सदस्य देशों को बैलिस्टिक मीज़ाइलों के हमलों से अपने आपको सुरक्षित बनाना चाहिए। उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ निराधार दावा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र को ईरान से टकराव के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। इस सम्मेलन में क़तर, ओमान और संयुक्त अरब इमारात के प्रमुखों ने भाग नहीं लिया।

 

इस सम्मेलन के आयोजन से पहले अनेक टीकाकारों का ख़याल था कि यह सम्मेलन क़तर के साथ सऊदी अरब, बहरैन, इमारात और मिस्र के संबंधों में बेहतरी का आरंभ बिंदु बनेगा लेकिन इसकी जो विशेषताएं सामने आई हैं वे कुछ इस प्रकार हैंः सदस्य देशों के बीच भारी मतभेद हैं, तीन सदस्य देशों के प्रमुखों के बजाए विदेश मंत्रियों ने इसमें भाग लिया और सम्मेलन के अगले मेज़बान का निर्धारण नहीं हो पाया। ये सारी बातें सम्मेलन के आयोजन में सऊदी अरब की विफलता की सूचक हैं। फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के बीच पहले भी मतभेद रहे हैं लेकिन कुछ अरब देशों की ओर से क़तर के घेराव के बाद ये मतभेद गहरी दरार में बदल गए। जुन 2017 से सऊदी अरब, बहरैन, संयुक्त अरब इमारात और मिस्र ने क़तर के साथ हर स्तर पर अपने कूटनयिक संबंध तोड़ लिए और इस देश का हवाई और समुद्री घेराव कर लिया।

 

बहरहाल जो बात निश्चित है, वह यह है कि क़तर की घेरेबंदी से सऊदी अरब कुछ भी हासिल नहीं कर सका है और रियाज़ को अब तक कई अवसरों पर दोहा के मुक़ाबले में हार मानने पर मजबूर होना पड़ा है। फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के शिखर सम्मेलन की समाप्ति पर जो बयान जारी किया गया है उसमें इस बात की तरफ़ इशारा करते हुए कि इस परिषद का उच्च लक्ष्य, सदस्य देशों के बीच सहयोग, संपर्क और एकजुटता है, कहा गया है कि फ़ार्स की खाड़ी के क्षेत्र में सुरक्षा व सैन्य सहयोग और इसी तरह सैन्य उद्योगों की मज़बूती ज़रूरी है।