यमन के धर्मगुरुओं की परिषद के महासचिव शेख़ अब्दुस्सलाम अल-वजीह का कहना था कि सऊदी शाही दरबार के टुकड़ों पर पलने वाले यह वहाबी मुफ़्ती अपने विवेक और धर्म का सौदा कर चुके हैं और ऐसे फ़तवे जारी करते हैं, जो स्पष्ट रूप से इस्लामी शिक्षाओं और इंसानियत के ख़िलाफ़ हैं।
उन्होंने कहा कि इन मुफ़्तियों के फ़तवों के कारण, दाइश जैसे ख़ूंख़ार आतंकवादी गुटों को बढ़ावा मिलता है, जो दुनिया में मुसलमानों के प्रति नफ़रत में वृद्धि और इस्लामोफ़ोबिया का एक मुख्य कारण है।
अल-वहीज का कहना था कि यह फ़तवे अमरीकी हितों को नज़र में रखकर जारी किए जाते हैं और इनके हर हलाल और हराम का आधार अमरीकी हित हैं। हालांकि इस्लाम में ऐसे फ़तवों ऐसे मुफ़्तियों के लिए कोई जगह नहीं है।