AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
मंगलवार

26 नवंबर 2019

5:33:33 pm
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सीरिया की संविधान कमेटी के काम में रुकावट पर रूस की चेतावनी, क्या है इस रुकावट का लक्ष्य?

रूस, सीरिया की क़ानूनी सरकार के निमंत्रण पर सितंबर 2015 से इस देश में आतंकवादी गुटों के ख़िलाफ़ संघर्ष में मौजूद है और इस संदर्भ में उसने बहुत सी सैन्य कार्यवाहियां अंजाम दीं।

इसके साथ ही रूस ने ईरान और तुर्की के साथ आस्ताना वार्ता प्रक्रिया और इन तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में सीरिया संकट के हल के लिए गंभीर प्रयास किए।

इस परिप्रेक्ष्य में सीरिया की संविधान कमेटी की पहली बैठक 30 अक्तूबर 2019 में स्वीज़रलैंड के जनेवा शहर में आयोजित हुयी। सीरिया के नए संविधान के संकलन के वर्किंग ग्रुप की 4 नवंबर 2019 में पहली बातचीत, जनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधि कार्यालय में हुयी, जिसमें सीरियाई सरकार के प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रस्तावित एजेन्डे की पुष्टि की गयी।

सीरिया की संविधान कमेटी की दूसरी बैठक 25 नवंबर को जनेवा में हुयी जिसका लक्ष्य इस देश के संविधान का मसौदा तय्यार करना था। इस कमेटी के वर्किन्ग ग्रुप में 15 सीरियाई सरकार के, 15 सरकार विरोधी गुट के और 15 सिविल सोयाइटी के सदस्य शामिल हैं। इसके साथ ही इस प्रक्रिया में रुकावट डालने की कोशिश हुयी जिस पर रूस ने प्रतिक्रिया दिखायी। रूस के विदेश मंत्री सिर्गेई लावरोफ़ ने सोमवार को मास्को में प्रेस कान्फ़्रेंस में बल दिया कि सीरिया सरकार को गिराने की नियत रखने वाले जनेवा में सीरिया की संविधान कमेटी के काम में रूकावट डालने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इस कमेटी की नाकामी के बाद, सीरिया में अपनी हस्तक्षेपपूर्ण कार्यवाहियों का औचित्य पेश करें।

सीरिया के संविधान कमेटी के गठन का विचार पहली बार रूस के सूची शहर में 29 और 30 जनवरी 2018 को सीरिया की राष्ट्रीय कांन्ग्रेस की बैठक में सामने आया था।

यह ऐसी हालत में है कि अमरीका की अगुवाई में पश्चिमी देश अपने अरब घटकों ख़ास तौर पर सऊदी अरब के साथ मिलकर इस प्रक्रिया का शुरु से विरोध करते रहे ताकि किसी तरह यह प्रक्रिया आगे बढ़ने न पाए।

सीरिया में आतंकवादी गुटों के ख़िलाफ़ लड़ाई में दमिश्क़ के सहयोगी के रूप में मास्को बारंबार ताकीद कर चुका है कि अमरीका सीरिया संकट के हल के मार्ग में सबसे बड़ी रूकावट है। दमिश्क़ सरकार सीरिया में पश्चिम ख़ास तौर पर अमरीका की इस देश में तनाव व लड़ाई जारी रखने की नीति की शुरु से आलोचक रही है। पश्चिमी-अरबी ध्रुव का मुख्य लक्ष्य सीरिया की क़ानूनी सरकार को गिराना है जिसे वह क्षेत्र में प्रतिरोध के मोर्चे की मुख्य कड़ी समझता है। यह वही लक्ष्य है जिसे ज़ायोनी शासन हासिल करने में शुरु से लगा रहा है।