पूर्वोत्तरी सीरिया की जेल से भागने वाली सभी महिलाओं का संबंध आतंकवादी संगठन दाइश से था।
इसी मध्य कुछ रिपोर्टों में यह भी बताया गया है कि तुर्की के हमले की वजह से अमरीकी सैनिक, उत्तरी सीरिया से पूरी तरह से निकल रहे हैं और अमरीकी रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ कमांडर ने कहा है कि संभावित रूप स अमरीका अब दाइश से युद्ध इराक़ में करेगा। उन्होंने यह बयान ऐसी दशा में दिया है कि जब यह सिद्ध हो चुका है कि आतंकवादी संगठन दाइश को अमरीका ने बनाया और सदैव उसकी मदद की है तो क्या इस बात कोई विश्वास कर सकता है कि अमरीका, पूर्वोत्तरी सीरिया में कुर्दों की जेलों से दाइश के आतंकवादियों के फरार को रोकने की कोशिश करेगा?
क्या अमरीका को यह चिंता नहीं सताएगी कि उसकी मदद पाने वाले आतंकवादी, उसके राज़ खोल देंगे? यह कैसे संभव है कि अमरीका और उसके घटक, इस्लामी जगत में इस आतंकवादी गुट की उपयोगिता को भूल जाएं और उन्हें यूंही छोड़ दें? वह भी ऐसी हालत में कि जब अमरीकी जनता अपने बेटों और जवानों की लाशें देखने पर तैयार नहीं है इस लिए मध्य पूर्व में अमरीकी हितों रक्षा अब अमरीकी सैनिकों के नहीं बल्कि अमरीकी द्वारा बनाए गये दाइश जैसे आतंकवादी गुटों के कांधों पर है।
शायद यही वजह है कि रूसी विदेशमंत्री सरगई लावरोव ने गुरुवार को कहा कि, सीरिया से भागने वाले चरमपंथी हथियारबंद गुटों के सदस्यों को जो देश शरण देगा उसे उनकी कार्यवाहियों की ज़िम्मेदारी भी स्वीकार करना होगी।
रूसी विदेशमंत्री के इस बयान से साफ ज़ाहिर होता है कि अमरीका और उसके घटक, पूर्वोत्तरी सीरिया से दाइश के आतंकवादियों के लिए फरार का रास्ता बना कर उन्हें शरण देने के प्रयास में हैं।
लावरोव ने कहा कि सीरिया के पूर्वोत्तरी भाग में संघर्ष, दाइश के आतंकवादियों को पूरी दुनिया में फैलने का अवसर देगा।
इस से पहले एक कुर्द कमांडर ने भी धमकी देते हुए कहा था कि हमारी जेलों में बंद कई हज़ार दाइश के आतंकवादी, टाइम बम की तरह हैं।
अब खबर है कि अमरीका दाइश के आतंकवादियों को इराक़ के विरुद्ध प्रयोग करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार अमरीकी सैनिकों ने दाइश के कई बड़े कमांडरों को इराक़ में स्थित अपनी सैन्य छावनी में पहुंचा दिया है और बाकी को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।