AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
गुरुवार

17 अक्तूबर 2019

1:16:46 pm
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जीत वह जिसका दुश्मन एलान करे, सीरिया युद्ध में दमिश्क़ की जीत का इस्राईल ने किया एलान

इस्राईली मीडिया ने स्वीकार किया है कि सीरिया में पिछले आठ वर्षों से जारी संकट में दमिश्क़ की जीत हो चुकी है और इस संकट के लिए वाशिंगटन, तेल-अवीव और अंकारा ज़िम्मेदार हैं।

इस्राईली अख़बार हारेट्ज़ ने लिखा है कि सीरिया में आठ वर्षों तक जारी रहे संकट में किस की जीत हुई है, अब यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है।

अख़बार लिखता है कि दमिश्क़ के ख़िलाफ़ विश्व की कई बड़ी ताक़तें एकजुट होकर लड़ रही थीं, लेकिन वे अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सकीं।

हारेट्ज़ की रिपोर्ट में सीरिया संकट के लिए वाशिंगटन, तेल-अवीव और अंकारा को ज़िम्मेदार ठहराया गया है।

अख़बार लिखता है कि असद के लिए अमरीका समर्थित कुर्दों के गढ़ उत्तरी सीरिया को फ़तह करना कठिन था, लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने वहां से अपने सैनिकों को निकालकर तुर्की के सैन्य ऑप्रेशन के लिए रास्ता साफ़ कर दिया, जिसका असद सरकार ने भरपूर फ़ायदा उठाया और अपने सैनिकों को इस इलाक़े में तैनात कर दिया, जिसका कुर्दों ने व्यापक स्वागत किया। इस तरह से दमिश्क़ सरकार ने बहुत ही महत्वपूर्ण और अंतिम मोर्चे को भी जीत लिया।

इस्राईली अख़बार यह सवाल उठाते हुए कि इस युद्ध में सीरियाई राष्ट्रपति बशार असद की जीत कैसे हुई? ख़ुद ही जवाब में लिखाः असद को ईरान, हिज़्बुल्लाह और सैकड़ों प्रतिरोधी लड़ाकों की सहायता हासिल थी, लेकिन जब यह समस्त चीज़ें भी नाकाम होने लगीं तो रूस मैदान में कूद पड़ा और उसने असद विरोधियों पर हवाई हमले शुरू कर दिए, हालांकि रूस के इस युद्ध में शामिल होने से पहले 2015 में भी असद मज़बूत होने लगे थे।

हारेट्ज़ ने असद की जीत पर अपने ग़ुस्से का इज़हार करते हुए लिखाः सीरिया संकट की शुरूआत के साथ ही ट्यूनीशिया, मिस्र और लीबिया के तानाशाहों का पतन हो गया और आशा थी कि चौथा नम्बर असद का है, उस समय इस्राईली ख़ुफ़िया एजेंसियां भी भविष्यवाणी कर रही थीं कि असद कुछ ही दिनों के मेहमान हैं, लेकिन उन्होंने ईरान और दमिश्क़ के दूसरे सहयोगियों को नज़र अंदाज़ कर दिया था।

ग़ौरतलब है कि सीरिया युद्ध में असद की जीत से जितना दुखी इस्राईल है, कोई और नहीं है। इसलिए कि इस्राईल को असद सरकार के पतन की पूरी उम्मीद थी, जिससे उसके विरुद्ध बनने वाले इस्लामी प्रतिरोध की मज़बूत कड़ी टूट जाती और तेल-अवीव को अपनी विस्तारवादी नीतियों को आगे बढ़ाने का अवसर मिल जाता। लेकिन असद और इस्लामी प्रतिरोध की जीत से इस्राईल का अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ गया है।