AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
मंगलवार

15 अक्तूबर 2019

1:55:01 pm
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पुतीन का रियाज़ दौरा, नए मध्यपूर्व का सपना अमरीका ने देखा लेकिन इसे पूरा कर रहा है मास्को वह भी अपने हिसाब से जहां वाशिंग्टन के

रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतीन के सऊदी अरब दौरे के उद्देश्यों के बारे में अगर बात की जाए तो एक महत्वपूर्ण उद्देश्य सीरिया का मुद्दा है। पुतीन चाहते हैं कि सऊदी अरब सीरिया संकट के राजनैतिक समाधान के लिए जारी आस्ताना प्रक्रिया का हिस्सा बन जाए।

रूस पहले ही तुर्की को इस प्रक्रिया में शामिल कर चुका है और इसे अपनी कामयाबी समझता है क्योंकि यह पूरी प्रक्रिया अमरीकी कल्पनाओं से अलग है और जेनेवा वार्ता से भी पूरी तरह आज़ाद है। पुतीन की कोशिश है कि रियाज़ सरकार पर भी आस्ताना शांति प्रक्रिया में शामिल होकर सीरिया संकट के शांतिपूर्ण हल का समर्थन करना शुरू कर दे।

सऊदी अरब इसके लिए ख़ुद को तैयार नहीं कर पा रहा है और पुतीन रियाज़ पहुंचकर उसे तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। पुतीन चाहते हैं कि सीरिया में नया संविधान बन जाए और राष्ट्रपति चुनाव हों जिनमें विरोधी संगठन भी भाग लें और इसके साथ ही सीरिया का पुनरनिर्माण और शरणार्थियों को स्वदेश वापसी शुरू हो जाए। अब अगर रियाज़ सरकार आस्ताना शांति प्रक्रिया का समर्थन कर देती है तो यह पुतीन के लिए एक बड़ी कामयाबी होगी।

सवाल यह है कि क्या सऊदी सरकार रूस की इस इच्छा को पूरा करेगी? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि रूस की इच्छा पूरी करने का मतलब है अमरीका से बग़ावत।

इस समय रियाज़ को अमरीकी नीतियों से गहरा दुख पहुंचा है। चाहे आरामको पर हुए हमलों का मुद्दा हो या ईरान का विषय हो या फिर यमन में साथ छोड़ देने की बात हो हर मामले में सऊदी अरब को अमरीका की नीतियां पीठ में खंजर घोंपने वाली लगती हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प आए दिन सऊदी अरब और वहां के नरेश का जो मज़ाक़ उड़ाते रहते हैं वह भी अपनी जगह पर है ही।

सऊदी अरब हैरत की नज़र से देख रहा है कि किस तरह ईरान अमरीका को बार बार ललकारता है, यही नहीं अमरीका का ड्रोन विमान ग्लोबल हाक भी मार गिराता है और अमरीका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता। सऊदी अरब को यह भी दिखाई दे रहा है कि तुर्की ने भी अमरीका के सामने बग़ावत शुरू कर दी और कुर्द फ़ोर्सेज़ के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया जो अमरीका की क़रीबी घटक समझी जाती थीं। तुर्की ने युद्ध शुरू किया तो अमरीका कुर्द फ़ोर्सेज़ को भी छोड़ कर हट गया।

यह सारी घटनाएं सऊदी अरब में उच्च नेतृत्व के स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। मगर फिर भी यह सवाल अपनी जगह मौजूद है कि क्या इतना सब कुछ होने के बावजूद सऊदी अरब इस पोज़ीशन में है कि अमरीका को छोड़कर रूस का दामन थामे? इसका जवाब हमें नहीं मालूम लेकिन इतना तो है कि सऊदी अरब सीरिया के मामले में बहुत अधिक सावधानी बरतने के बावजूद कुछ बहुत छोटे छोटे क़दम उठा रहा है जो बेहद महत्वपूर्ण हैं।

पुतीन के रियाज़ दौरे का दूसरा उद्देश्य ज़्यादा बड़ा है। रूस इस कोशिश में है कि अरब देशों का एक एलायंस बने जो अमरीका के वर्चस्व से पूरी तरह आज़ाद हो इसमें क्षेत्र के ग़ैर अरब देशों को भी शामिल किया जाए और आपस में वार्ता और समन्वय का वातावरण बने। इसमें ईरान के साथ तनाव कम करने का विषय भी शामिल है, यमन युद्ध को समाप्त करना भी शामिल है, क़तर के साथ सऊदी अरब के तनाव को ख़त्म करना भी शामिल है, तुर्की और सऊदी अरब का विवाद तथा डील आफ़ सेंचुरी जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।

मास्को को महसूस हो रहा है कि सऊदी अरब इस समय जिन हालात में है उनमें वह अपनी नीतियों पर विवेकपूर्ण ढंग से पुनरविचार के लिए तैयार हो सकता है और नतीजे में अनेक विवादों और युद्धों से बाहर निकलने का फ़ैसला कर सकता है। मास्को चाहता है कि सऊदी अरब के नए रुजहान का मार्गदर्शक बन जाए।

देखना यह है कि सऊदी अरब क्या वाक़ई अपनी नीतियों में बुनियादी बदलाव लाता है या वाशिंग्टन पर दबाव बनाने के लिए रूस के क़रीब जाने का केवल दिखावा करना चाहता है।

लगता तो यही है कि इलाक़े में बड़े बदलाव होने वाले हैं, घटनाओं की रफ़तार बहुत तेज़ है।

फ़िलिस्तीनी टीकाकार कमाल ख़लफ़