AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

22 जुलाई 2019

1:58:20 pm
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अमरीका जल्द ही इस क्षेत्र से भाग निकलेगा, अरब उस पर भरोसा न करेंः रायुल यौम

अमरीका में ज़ायोनी शासन के विदेश मंत्री से बहरैन के विदेश मंत्री की खुल्लम खुल्ला मुलाक़ात पर कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

वाॅशिंग्टन में धर्मों की स्वतंत्रता की काॅन्फ़्रेंस के अवसर पर ज़ायोनी शासन के विदेश मंत्री से बहरैन के विदेश मंत्री की खुली मुलाक़ात और अरब-इस्राईल संबंधों की बहाली के मामलों में अमरीका के विशेष दूत को इस मुलाक़ात के चित्र प्रकाशित करने की अनुमति दिए जाने पर विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। रायुल यौम ने अपने संपादकीय में लिखा है कि बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासन ने इस मुलाक़ात में न केवल यह कि ज़ायोनी शासन के साथ संबंध सामान्य बहाल करने पर बल दिया बल्कि जान बूझ कर दसियों करोड़ अरबों व मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की जो इन संबंधों के विरोधी हैं और इस काम को बहुत बड़ी ग़लती मानते हैं।

 

रायुल यौम ने लिखा है कि आले ख़लीफ़ा शासन, ज़ायोनी शासन के साथ अरबों व फ़ार्स की खाड़ी के तटवर्ती देशों के संबंध स्थापित करने के बिचौलिए में बदल चुका है और इस्राईल के उच्चाधिकारियों से खुल्लम-खुल्ला मुलाक़ातों में विरोधियों को चुनौती देने से उसे आनंद मिलता है। ये मुलाक़ातें भी विभिन्न अवसरों पर होती रहती हैं या फिर आले ख़लीफ़ा इसके लिए अवसर बनाता रहता है जैसा कि उसने पिछले महीने मनामा सम्मेलन में इस्राईली मीडिया के प्रतिनिधियों के लिए स्वागत समारोह रखा था।

 

रायुल यौम ने लिखा है कि बहरैन के मंत्री इस्राईलियों से इस स्थिति में मुलाक़ातें कर रहे हैं कि इस्राईल की नस्लभेदी संसद ने सऊदी अरब की ओर से पेश की गई शांति योजना की अनदेखी कर दी है, ज़ायोनी शासन दो सरकारों की योजना को तबाह कर रहा है, ग़ज़्ज़ा पट्टी में रहने वाले बीस लाख से अधिक फ़िलिस्तीनियों का जीवन उसने संकट में डाल रखा है, सीमा पर प्रदर्शन करने वाले निहत्थे लोगों पर वह फ़ायरिंग करता है जबकि बैतुल मुक़द्दस में अमरीकी राजदूत भी मस्जिदुल अक़सा के नीचे सुरंग बनाए जाने की योजना का उद्घाटन करने पर गर्व करते हैं।

 

रायुल यौम ने संसार के अरबों मुूसलमानों की भावनाओं को आहत करने और फ़िलिस्तीन, लेबनान, सीरिया, जाॅर्डन व मिस्र में हज़ारों निर्दोषों का ख़ून बहाने वाले ज़ायोनी अधिकारियों से मुलाक़ात पर बहरैनी विदेश मंत्री के आग्रह के कारणों के स्पष्ट न होने की ओर इशारा करते हुए लिखता है कि हम आले ख़लीफ़ा से कहते हैं कि पहले तो यह कि इस्राईल कभी भी बहरैन की निःशुल्क सेवा नहीं करेगा और ज़ायोनी सरकार अकेले अपनी रक्षा करने में सक्षम नहीं है और सटीक मीज़ाइलों की लहर के सामने वह असाहय पड़ गई है। दूसरे यह कि अमरीका, सीरिया में 90 अरब डाॅलर ख़र्च करने के बाद पराजित हो कर वहां से भाग खड़ा हुआ है और इस समय अफ़ग़ानिस्तान से निकल भागने के लिए योजनाएं बना रहा है अतः वह फ़ार्स की खाड़ी से भी जल्द ही निकल भागेगा जिस प्रकार से कि वह सोमालिया से भाग निकला है।

 

रायुल यौम ने अपने संपादकीय के अंत में मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति और आले ख़लीफ़ा के गहरे दोस्त हुस्नी मुबारक के इस वाक्य का उल्लेख करते हुए कि "जिसने भी अपने आपको अमरीकियों से ढांकने की कोशिश की, वह नंगा हो गया", लिखा है कि यह वाक्य फ़ार्स की खाड़ी के तटवर्ती देशों के उन सभी अधिकारियों पर चरितार्थ होता है जिन्होंने बहरैन के विदेश मंत्री की शैली अपना रखी है।