AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

5 जुलाई 2019

3:15:00 pm
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सीरिया जा रहे आयल टैंकर का पकड़ा जाना एक राष्ट्र का गला दबाने और उसका जीवन कठिन करने की कोशिश है, इस घटना में क्या है मिस्र की भ

जिबराल्टर स्ट्रेट में ब्रिटिश नौसेना ने पनामा के ध्वज के साथ जा रहे सुपर आयल टैंकर को पकड़ लिया जिस पर तीन लाख टन ईरानी तेल लदा हुआ था।

यह आयल टैंकर सीरिया के बानियास पोर्ट की ओर जा रहा था। ब्रिटेन का दावा है कि उसने आयल टैंकर वर्ष 2011 में सीरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के तहत पकड़ा है।

स्पेन के विदेश मंत्री जोज़ेफ़ बोरेल ने कहा कि अमरीका ने आयल टैंकर पकड़ने की मांग की थी, स्पेन सरकार इस बिंदु का अध्ययन कर रही है कि ब्रिटिश नौसेना ने यह क़दम उठाकर स्पेन की संप्रभुता का तो उल्लंघन नहीं किया है?

दस्तावेज़ों से ज़ाहिर होता है कि यह सुपर टैंकर इराक़ी है लेकिन अमरीका का कहना है कि यह ईरानी है और उसने ईरान की एक पोर्ट से तेल लोड किया है।

ईरान का तीन लाख बैरल तेल रोज़ चीन जाता है और इस मात्रा में वृद्धि हो रही है, मगर न अमरीका और न ही ब्रिटेन किसी के पास भी चीनी आयल टैंकर का रास्ता रोकने की हिम्मत नहीं है। यही नहीं तुर्की, भारत यहां तक कि यूरोपीय देशों के तेल टैंकर वह नहीं रोक सकते क्योंकि ख़मियाज़ भुगतना पड़ सकता है।

इस जहाज़ पर अगर हथियार लदे होते और ब्रिटेन उसे पकड़ता तो बात समझ में आने वाली थी लेकिन तेल के संकट से जूझ रहे सीरियाई राष्ट्र के लिए तेल ले जाने वाले टैंकर को रोक लिया जाना समस्य मानवीय मूल्यों का उल्लंघन है। सीरिया पर जो प्रतिबंध लगाए गए हैं वह एकतरफ़ा हैं इस बारे में संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर कोई फ़ैसला नहीं किया गया है।

यह भी हैरत की बात है कि अमरीका और यूरोपीय देशों ने अपने युद्धक विमान सीरियाई और इराक़ी सीमा में भेजे, साठ देशों का गठजोड़ बनाया। इस गठजोड़ ने उन ट्रकों और टैंकरों को कभी नहीं रोका जो दाइश का तेल लेकर जाते थे। यह तेल तुर्की और इराक़ी कुर्दिस्तान जाया करता था!

हमें दुख है कि मिस्र ने तेल लेकर सीरिया जाने वाले तेल टैंकरों को स्वेज़ नहर से गुज़रने से रोक दिया है। उसने यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का पालन करते हुए यह क़दम उठाया है हालांकि यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर अमल करना उसकी ज़िम्मेदारी नहीं है क्योंकि वह यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है। स्वेज़ नहर का रास्ता बंद होने के कारण ही इस आयल टैंकर को बहुत लंबा रास्ता तय करना पड़ा। यहीं से मिस्र का गुनाह सामने आता है कि वह एक  राष्ट्र की समस्याएं बढ़ाने में रूचि ले रहा है।

यह तय है कि ब्रिटेन के इस क़दम के बाद फ़ार्स  खाड़ी के क्षेत्र में तनाव और बढ़ेगा।