AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
मंगलवार

16 अप्रैल 2019

1:22:39 pm
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हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस

सन चार हिजरी क़मरी में तीन शाबान के दिन पूरी सृष्टि के सबसे महान परिवार में एक बच्चे के जन्म की ख़बर ने पैग़म्बरे इस्लाम के हृदय को हर्ष और आध्यात्मिक उत्साह से भर दिया।

इस बच्चे का नाम था हुसैन। वह हज़रत अली और हज़रत फ़ातेमा के दूसरे बेटे थे। वह पैग़म्बरे इस्लाम के मिशान को आगे बढ़ाने के लिए दुनिया में आए। इस शुभ दिवस पर हम एक सक्षिप्त नज़र डालेंगे।

पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से रवायत है कि जब इमाम हुसैन का जन्म हुआ, ईश्वर की ओर से जिबरईल नामक फ़रिश्ता हज़ारों फ़रिश्तों के साथ मुबारकबाद देने के लिए धरती पर उतरे। हुसैन नाम तौरैत नामक ईश्वरीय पुस्तक में शब्बर और शब्बीर है, इंजील में यही नाम ताबा और तैयब है। जन्नत के जवानों के सरदार इमाम हुसैन की उपाधि है।

इमाम हुसैन के व्यक्तित्व में बड़ी महान विशेषताएं  थीं। वह पैग़म्बरे इस्लाम के नाती थे। उन्होंने अपने जीवन के छह साल पैग़म्बरे इस्लाम की छत्रछाया में गुज़ारे, पैग़म्बरे इस्लाम के व्यक्तित्व की महानता की छाप इमाम हुसैनन्होंने अपने जीवन के छह साल पैग़म्बरे इस अलैहिस्सलाम के व्यक्तित्व पर पड़ी। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत पढ़ते हैं तो यह महत्वपूर्ण वाक्य आता है कि हे मेरे सरदार, हे अबु अब्दिल्लाह मैं गवाही देता हूं कि आप पवित्र पूर्वजों के वंशज हैं अज्ञानता अपनी दूषित प्रवृत्ति के साथ आपके क़रीब भी नहीं आ सकी।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जीवन का एक महत्वपूर्ण बिंदु पैग़म्बरे इस्लाम का उनसे और उनके बड़े भाई हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम से बहुत गहरा लगाव था। एक बार एसा हुआ कि पैग़म्बरे इस्लाम अपने कुछ श्रद्धालुओं के साथ कहीं मेहमानी में जा रहे थे। उन्हें रास्ते में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम दिखाई दिए जो खेल में व्यस्त  थे। पैग़म्बरे इस्लाम को प्यार आ गया और वह पकड़ने के लिए इमाम हुसैन की ओर बढ़े। इमाम हुसैन हंसते हुए भागने लगे। कभी किसी तरफ़ तो कभी किसी तरफ़ वह भागते और पैग़म्बरे इस्लाम उनके पीछे दौड़ते थे। यहां तक कि पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हुसैन को पकड़ लिया। फिर उन्होंने अपना एक हाथ इमाम हुसैन की ठुड्डी के नीचे और दूसरा हाथ उनकी गरदन के पीछे रखा और उन्हें प्यार किया। इसके बाद कहा कि हुसैन मुझ से हैं और मैं हुसैन से हूं हे ईश्वर तू उससे प्रेम कर जो हुसैन से प्रेम करे।

जिस वातारण में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने आंखें खोलीं और जहां उनका पालन पोषण हुआ वह हज़रत अली और हज़रत फ़ातेमा जह़रा जैसी महान हस्तियों की देखरेख में तैयार हुआ था। इस वातावरण में इमाम हुसैन न्याय, सत्य और साहस जैसे महान शिष्टाचारिक गुणों से सुसज्जित हुए क्योंकि यह गुण हज़रत अली और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहिम में अपने महानतम रूप में मौजूद थे। उन्होंने बचपन से सीखा था कि महान उद्देश्यों के बग़ैर जीवन बेकार है उसका कोई मूल्य ही नहीं है। यदि जीवन में सत्य न हो तो जीवन का कोई अर्थ ही नहीं है। दूसरे शब्दों में इमाम हुसैन अपने बचपन से ही उस सोते से जुड़े हुए थे जिससे महानता और महान गुणों की धारा प्रवाहित होती है। जब पैग़म्बरे इस्लाम पर वहि नाज़िल होती थी अर्थात फ़रिश्ता ईश्वरीय संदेश लेकर पैग़म्बरे इस्लाम के पास आता था तो अनेक अवसरों पर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम के साथ होते थे और उस आध्यात्मिक वातावरण का हिस्सा होते थे। इस तरह वह महानताओं की ऊंचाइयों पर पहुंचते गए। उनकी महानता और गुणों से चाहने वाले ही नहीं बल्कि विरोधी भी अच्छी तरह अवगत थे और इसे मानते भी थे।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक था, उनकी वाणी में विशेष मधुरता और मिठास  थी, वह जब बात करते थे तो उनकी बात लोगों के दिलों में उतरती चली जाती थी। उनकी बातों के प्रभाव से मुर्दा दिल भी जीवित हो उठते थे। बचपन से ही उनका साहस भी उदाहरणीय था वह धर्म और मनवीय सिद्धांतों की रक्षा और इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। इमाम हुसैन ज्ञान पर भी बहुत अधिक ज़ोर देते थे उनका कहना था कि ज्ञान हासिल करना परिपूर्णता और उत्थान की भूमिका है। अर्थात कोई भी इंसान यदि आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचना चाहता है तो उसके लिए ज़रूरी है कि पहले ज्ञान हासिल करे। वह ख़ुद भी ज्ञान के सागर थे, उनके ज्ञान की गहराई का कोई अनुमान नहीं लगा सकता। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का कथन है कि हम वह लोग हैं जो क़ुरआन के ज्ञान और उसे बयान करने की दक्षता के स्वामी हैं। हमारे पास जो कुछ है वह किसी भी इंसान के पास नहीं है, हमें ईश्वरीय रहस्यों का ज्ञान है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के अस्तित्व में ज्ञान और अध्यात्म दोनों को चरम बिंदु पर देखा जा सकता था। उनके व्यक्तित्व में बड़ी कोमलता थी। ग़रीबों से तो उन्हें अथाह प्रेम था और ईश्वर की श्रद्धा बड़े विचित्र रूप में उनके भीतर मौजूद थी। जब वह ईश्वर की उपासना करते थे, जब वह ईश्वर का गुणगान करते थे तो उनका ईश्वरीय प्रेम बड़े आकर्षक रूप में झलकता था।

पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास को मात्र 50 साल का समय बीता था कि असत्य ने यह ढोंग शुरू कर दिया कि सत्य वही है। कुछ स्वार्थी और सत्तालोभी लोग, कुछ झूठे अत्याचारी और द्वेषी लोग धोखे का सहारा लेकर आम लोगों को धर्म के मार्ग से भटकाने में लग गए। इमाम हुसैन को अच्छी तरह पता था कि यदि सही समय पर इस पर अंकुश न लगाया गया तो असत्य सब को अपने स्वार्थों और लोभ की बलि चढ़ा देगा। उनका यह मानना था कि यदि लोगों को सत्य से दूर कर दिया जाए तब भी सत्य की उमंगें और महान उद्देश्य अपनी जगह पर अडिग रहते हैं और सत्य इतिहास के माथे पर अपनी चमक बिखेरता रहता है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का आंदोलन क़ुरआन की उस आयत का दर्पण है जिसमें कहा गया है कि जब दो गुट आपस में युद्ध के मैदान में आमने सामने आ जाते हैं तो इसमें तुम्हारे लिए पाठ है। एक गुट ईश्वर के मार्ग में युद्ध करता है और दूसरा गुट नास्तिक है। दूसरे शब्दों में यह कहना चाहिए कि इमाम हुसैन और यज़ीद सत्य और असत्य के दो मोर्चों और दो विचारधाराओं के प्रतीक के रूप में एक दूसरे के आमने सामने थे।

इमाम हुसैन बड़े साहसी, बहुत करुण स्वभाव, दायलु  और बड़े विनम्र इंसान थे। वह ग़रीबों और फ़क़ीरों के साथ एक दस्तरख़ान पर बैठ कर खाना खाते थे। वह उनकी दावत स्वीकार करते थे और उन्हें अपने यहां खाने पर बुलाते थे। वह क़र्ज़दार लोगों का क़र्ज़ा अदा करते थे, हमेशा पीड़ितों का साथ देते थे। ज्ञान की दृष्टि से वह अपने पिता हज़रत अली अलैहिस्सलाम के समान सभी विषयों और क्षेत्रों की पूर्ण जानकारी रखते थे। इतिहास में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की विशेषताओं और गुणों के बारे में बहुत कुछ लिखा और बोला गया है। इमाम हुसैन के बारे में केवल मुसलमानों ने ही नहीं बल्कि ग़ैर मुस्लिमों ने भी बहुत कुछ कहा और लिखा है। ईसाई पत्रकार व अनुसंधानकर्ता आंतवान बारा का कहना है कि इमाम हुसैन के आंदोलन में निहित आध्यात्मिक ऊर्जा से लाभ उठाना चाहिए यह मुसलमानों के बीच बहुत बड़ी अमानत है। इसे दुनिया वालों के सामने एक महान आइडियल व आदर्श के रूप में पेश किया जाना चाहिए। यह अमानत वास्तव में बहुत बड़ी दौलत और बहुत बड़ा ख़ज़ाना है जो  सारी दुनिया के काम आने  वाली चीज़ है इसे समूची मानवता के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। वह अपनी किताब ईसाई विचारधारा में हुसैन, में इमाम हुसैन के व्यक्तित्व का गुणगान करते हुए लिखते हैं कि हम इमाम हुसैन के व्यक्तित्व के बारे में जितना भी व्याख्यान करें हम उसका दस प्रतिशत भी नहीं बयान कर सकते जो पैग़म्बरे इस्लाम ने इमाम हुसैन के बारे में कहा है और जिस तरह उन्हें युवाओं का सरदार बताया है। मेरे विचार में तो इमाम हुसैन इस्लाम का दीपक हैं। वह दीपक जिसने करोड़ों मुसलमानों के लिए सत्य और मार्गदर्शन के रास्ते को स्पष्ट कर रखा है और उन्हें गुमराही की खाई में गिरने से बचाया है। उनके व्यक्तित्व से निकलने वाला प्रकाश पूरी दुनिया के लोगों को सत्य का मार्ग दिखाता है। इमाम हुसैन इसलाम की ढाल हैं। क्योंकि उन्होंने धर्म के आध्यात्मक, आस्थाओं और ईमान को हर प्रकार की कमज़ोरी और विखराव से बचाया। अगर वह न होते तो इस्लाम लोगों के दिलों और मन मस्तिष्क में एक महान सिद्धांत के रूप में परवान न चढ़ पाता। दूसरे शब्दों में यहां तक कहा जा सकता है कि इमाम हुसैन सभी धर्मों की आत्मा हैं और जब तक इतिहास चलता रहेगा वह धर्मों की आत्मा के रूप में अपनी भूमिका अदा करते रहेंगे। इमाम हुसैन ने जब अपने आंदोलन की शुरुआत की तो उस समय पूरी दृढ़ता के साथ कहा था कि ईश्वर की सौगंध मैं हरगिज़ घुटने नहीं टेकूंगा मैं महान लोगों की तरह मौत को गले लगाउंगा। उन्होंने प्रतिष्ठा और गौरव का सही अर्थ समझाया सभी समझादर और बुद्धिमान लोगों को अपना दीवाना बना लिया।

आज हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस मना रहे हैं जिनके जीवन, जिनके विचारों, जिनके आंदोलन से हमें सबसे अमर पाठ मिलते हैं। इस महान हस्ती के शुभ जन्म दिवस पर हम यह बात स्वीकार करते हें कि मशीनी जीवन में उलझी हुई मानवता एसे काल में जब नैतिक मूल्यों का महत्व लगातार कम होता जा रहा है और उनकी उपेक्षा की जाने लगी है, सौभाग्यशाली है कि उसे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का परिचय मिला है। उसे चाहिए कि इमाम हुसैन के पूरे जीवन और उनके आंदोलन को एक बार नहीं बल्कि बार बार पढ़े और उनके उद्दश्य को अपने संघर्ष और अपनी सत्य की लड़ाई के लिए प्रेरण्ण का स्रोत बनाएं। वाक़ई इमाम हुसैन एक अमर सच्चाई का नाम है जो जीवन के सबसे प्रकाशमान मूल्यों और सिद्धांतों से परिचित करा सकती है।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जीवन और उनके आंदोलन में जो पाठ हैं वह हर व्यक्ति और हर वर्ग के लिए पथप्रदर्शक हैं। दुनिया में बहुत से आंदोलनकारी ऐसे  भी गुज़रे हैं जिन्होंने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को अपना आदर्श बनाया और इसे दीपक की भांति अपने सामने रखते हुए आगे बढ़े और अपने आंदोलन को उन्हों सफल बनाया।