सर्गेई लेबीदेव ने ताजेकिस्तान की राजधानी दोशंबा में सदस्य देशों के चीफ़्स आफ़ आर्मी स्टाफ़ की बैठक में कहा कि सदस्य देशों की सुरक्षा और स्थायी विकास का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है अतः हमें इस विषय को बहुत गंभीरता से लेने की ज़रूरत है।
इस बैठक में आज़रबाइजान गणराज्य, आर्मीनिया, बेलारूस, क़ज़ाकिस्तान, क़िरक़ेज़िस्तान, रूस, ताजेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल हैं।
इस संगठन की स्थापना वर्ष 1991 में हुई जिसका लक्ष्य सोवियत संघ में शामिल रह चुके 15 देशों को एक प्लेटफ़ार्म पर एकत्रित करना है। इस समय आर्मीनिया, आज़रबाइजान गणराज्या, बेलारूस, क़ज़ाक़िस्तान, क़िरक़ेज़िस्तान, मोलदोवा, रूस, ताजेकिस्तान, तुर्कमिनस्तान और उज़्बकिस्तान इसके सदस्य देश हैं।
मध्य एशिया के देशों को आतंकवाद का ख़तरा बहुत चिंतित किए हुए है क्योंकि एक तरफ़ तो इन देशों की सीमाएं अफ़ग़ानिस्तान से मिलती हैं और दूसरी ओर ख़ुद इन देशों के भीतर भी कुछ वर्गों में चरमपंथी विचारधारा पनप रही है। हालिया वर्षों में इन देशों कई हज़ार नागिरक चरमपंथी संगठनों में शामिल होकर सीरिया और इराक़ में लड़ते रहे हैं।
इससे पहले इन देशों के कुछ संगठन एसे थे जिनके तालेबान से संबंध थे और यह विषय इन देशों की सरकारों के लिए गहरी चिंता का कारण था। अब अगर अफ़ग़ानिस्तान में दाइश का ख़तरा बढ़ता है तो इन देशों की चिंता का बढ़ जाना भी स्वाभाविक है।
इन देशों के पास बेहतरी रास्ता यह है कि वह इराक़ और सीरिया में आतंकी संगठनों से संघर्ष के सफल अनुभव की ओर देखें और इस संदर्भ में उन्हें इराक़ और सीरिया के साथ ईरान से बहुत अच्छी मदद मिल सकती है।