हिज़्बुल्लाह के उपसचिव शैख़ नईम क़ासिम ने गुरुवार की शाम दक्षिणी बैरूत में समीर क़न्तार की शहादत की तीसरी बरसी के समारोह में, अमरीकियों के इस एलान को हास्यास्पद बताया कि दाइश के अंत की वजह से वह सीरिया से निकल रहा है। उन्होंने कहा कि अमरीकियों का यह एलान हास्यास्पद है क्योंकि ख़ुद अमरीकियों ने दाइश को वजूद दिया और हथियारों व उपकरणों की मदद कर दाइश की इतने लंबे समय तक बाक़ी रहने में मदद की।
हिज़्बुल्लाह के उपसचिव ने बल दिया कि सीरियाई सेना, इराक़ी स्वंयसेवी बल, सेना और राष्ट्र, लेबनान के हिज़्बुल्लाह और इस्लामी ईरान सहित प्रतिरोध के सभी मोर्चों की मदद से इराक़, सीरिया और क्षेत्र पर दाइश के शासन का अंत हुआ।
उन्होंने इस्राईल को क्षेत्र के सभी संकटों का ज़िम्मेदार बताते हुए कहा कि ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीनियों को बेघर किया, मिस्र, सीरिया, लेबनान और जॉर्डन की भूमि का भाग हड़पा और वह निरंतर क्षेत्र में साज़िश रचता रहता है।
हिज़्बुल्लाह के उपसचिव ने प्रतिरोध को इस्राईल से मुक़ाबले का एकमात्र रास्ता बताते हुए कहा कि साठगांठ से फ़िलिस्तीन का मामला हल नहीं होगा क्योंकि "डील ऑफ़ द सेन्चरी" नामक समझौता, क़ुद्स को इस्राईल के हवाले करने पर आधारित है। इसी तरह इस समझौते में शरणार्थी फ़िलिस्तीनियों की वतन वापसी के अधिकार की अनदेखी की गयी और फ़िलिस्तीन के नाम पर कोई चीज़ बाक़ी नहीं बचती।
शैख़ नईम क़ासिम ने इस्राईल की ख़ुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश की ओर इशारा करते हुए कहा कि ज़ायोनी शासन का फ़िलिस्तीन की भूमि में कोई अधिकार नहीं है और अमरीका सहित दूसरे देशों की ओर से ज़ायोनियों की मदद भी इस सच्चाई को नहीं बदल सकती।
ग़ौरतलब है कि समीर क़न्तार 20 दिसंबर 2015 को दमिश्क़ के निकट जर्माना इलाक़े में इस्राईल के मीज़ाईल हमले में शहीद हो गए।