AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
बुधवार

28 नवंबर 2018

6:40:35 pm
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क्या इस्राईल में हसन नसरुल्लाह की हत्या का दम है? अगर हां तो उसके बाद क्या होगा? अब्दुलबारी का धमाकेदार आलेख

हालिया दिनों में इस्राईली अधिकारियों ने हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की हत्या की योजना पर बल दिया है तो इस पर अरब के प्रसिद्ध पत्रकार अब्दुलबारी अतवान लंदन से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र रायुल यौम में अपने आलेख में कई आयामों से चर्चा की है।

सीरिया में एस-300 एन्टी मिसाइल लगाए जाने की वजह से इस देश पर हवाई हमले में नाकामी और हालिया दिनों में ग़ज्ज़ा पर सैन्य चढ़ाई की विफलता के बाद, इस्राईल के सैन्य नेतृत्व के पास, ऐसी जानकारियों को " लीक" करने के अलावा कोई मार्ग नहीं था जिनसे यह पता चलता हो कि लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की हत्या निश्चित रूप से की जाएगी क्योंकि इस्राईली अधिकारियों के अनुसार उनकी हत्या से हिज़्बुल्लाह का हौसला पस्त हो जाएगा और प्रतिरोध मोर्च ध्वस्त हो जाएगा।

      लेबनानी सीमा के पास उत्तरी मोर्चे पर तैनात इस्राईली जनरल जनरल रौई लेवी ने इस्राईली सेना की माराख़ोत पत्रिका में प्रकाशित हुए अपने लेख में इस्राईली सरकार की टारगेट किलिंग की नीति को पुनः लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि सैयद हसन नसरुल्लाह की हत्या कर दी जानी चाहिए।

   इस्राईली सेना के एक जनरल के मुंह से इस तरह की मांग दर अस्ल इसराईली सैन्य अधिकारियों की मन की इच्छाओं और अपनी नाकामियों पर उनकी बौखलाहट की प्रतीक है।

     सैयद हसन नसरुल्लाह इस्राईल के लिए भयानक सपना बन चुके हैं और यह भयानक सपना, इस्राईल के सरकारी अधिकारियों, सैन्य कमांडरों और यहूदी बस्तियों के वासियों की नींद समान रूप से हराम किये हुए है। विशेष रूप से उन रिपोर्टों के बाद जिनमें कहा गया है कि हसन नसरुल्लाह ने दक्षिणी सीरिया से अमरीका व इस्राईल समर्थिक चरमपंथियों को खदेड़ने के बाद इस्राईल के खिलाफ गोलान मोर्चा फिर से खोलने  का संकल्प किया है।

सैयद हसन नसरुल्लाह की हत्या की इस्राईली योजना कोई नयी नहीं है और वास्तव में इस योजना का आरंभ सन 1992 में हो गया था अर्थात जब हिज़्बुल्लाह के तत्कालीन महासचिव शहीद अब्बास मूसवी की दक्षिणी लेबनान में कार बम धमाके में मार डाला गया था। उस समय से अब तक इस्राईल की ओर से यह कोशिश जारी रही इस लिए अब इसकी बात करना कोई नयी चीज़ नहीं है।

          इस्राईली विश्लेषक उत्तरी मोर्चे को इस्राईल के अस्तित्व के लिए सब से बड़ा खतरा समझते हैं और इसकी एक ही वजह है और वह है हिज़्बुल्लाह की बढ़ती शक्ति जिसकी मिसाइलों की संख्या में वृद्धि ही होती जा रही है। इस्राईल के डर की दूसरी वजह यह है कि हिज़्बुल्लाह की ताक़त में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही और उसके मिसाइलों की क्षमता बढ़ रही है इसके अलावा ज़मीनी लड़ाई का उसका अनुभव भी बढ़ा रहा है जिसका लोहा वह सन 2006 में इस्राईल के साथ युद्ध में मनवा चुका है और अब सीरिया युद्ध के बाद वह कुंदन बन चुका है।

 गज़्ज़ा पट्टी में सक्रिय फिलिस्तीनी संगठनों विशेषकर हमास व जेहाद से हिज़्बुल्लाह के गठजोड़ और हमास के लड़ाकों को प्रशिक्षित करने की खबरों ने आग में घी का काम किया है और इस्राईली अधिकारी अंगारों पर लोट रहे हैं। फिलिस्तीन के  " बेरुस्बा" क्षेत्र में इस्राईली सैन्य काफिले पर जो मिसाइल मारा गया था उसे सीरिया में तैयार किया गया था और सैयद हसन नसरुल्लाह ने खुल कर घोषणा की है कि अचुक निशाने वाले इस मिसाइल को कुछ महीनों पहले ही हिज़्बुल्लाह ने हमास तक पहुंचाया था। यह वास्तव में इस्राईलियों के खुला संदेश है और इससे एक बार फिर यह साबित हो गया कि सैयद हसन नसरुल्लाह जो कहते हैं वह करते हैं और कभी झूठ नहीं बोलते और यह तो खुद इस्राईली भी कहते हैं।

     सैयद हसन नसरुल्लाह के बारे में हमें उनके निकटवर्तियों से पता चला है कि उन्हें शहादत से बिल्कुल डर नहीं लगता, बल्कि वह उसकी खोज में रहते हैं, उनका ख्याल है कि उनकी शहादत में अब विंलब हो रहा है और वह अपनी उम्मीद से ज़्यादा जी चुके हैं। वह यह मानते हैं कि सुरक्षा के सारे उपाय मौत आने पर धरे के धरे रह जाते हैं लेकिन उनके साथियों को लगता है कि सतर्कता और सुरक्षा के उपाय फिर भी ज़रूरी हैं।

     सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस्राईल और उनकी सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया है, उनकी हत्या का रात दिन सपना देखने वाले इस्राईल खुफिया एजेन्टों और अधिकारियों के रात दिन की कोशिशों के बावजूद वह लगभग हर हफ्ते ही किसी न किसी लेबनानी या अरब नेता से भेंट करते हैं, पत्रकारों से बातचीत करते हैं और दमिश्क व तेहरान की यात्रा करते हैं और कई बार तो वह लेबनान के राष्ट्रीय समारोहों में जनता के सामने भाषण भी देते देखे जाते हैं।

      हमारे साथी पत्रकार " ग़स्सान बिन जदो " ने कई बार सैयद हसन नसरुल्लाह से भेंट की है एक बार उस समय भी जब सन 2006 का युद्ध अपने चरम पर था। इस समय उन्होंने सैयद हसन नसरुल्लाह से लेबनान के दक्षिणी ज़ाहिया क्षेत्र में स्थित एक फ्लैट में भेंट की, किसी तहखाने में नहीं! और अगर तहखाने में भी होते तो क्या समस्या थी, हमारे अरब नेता तो तहखानों में ही रहते हैं बस इस अंतर के साथ कि सैयद हसन नसरुल्लाह अपने दुश्मन से बचने के लिए यह काम करते हैं जबकि अरब नेता अपनी जनता से बचने के लिए तहखानों में छिपते फिरते हैं।

      एक समय था जब इस्राईली खुफिया एजेन्सियां अरबों के खिलाफ जो जी आता था करती थीं, जिसे चाहती मार देती जिसे चाहती गिरफ्तार कर लेतीं, लेकिन हिज़बुल्लाह के आने के बाद हालात बदल गये जिसके बहुत से प्रमाण हैं और इस दावे का हालिया प्रमाण खान युनुस में इस्राईली खुफिया एजेन्सी के अभियान की शर्मनाक विफलता है।

  हिज़्बुल्लाह अब एक सरकार है, एक मज़बूत संगठन है जिसके पास अपनी सेना है जो शायद , मध्यपूर्व की सब से अधिक ताकतवर सेना है क्योंकि वह इस्राईलियों और अरबों डालर के हथियारों और उपकरणों व युद्धक विमानों से लैस इस्राईली सैनिकों से लोहा लेती है और इसका श्रेय जाता है सैयद हसन नसरुल्लाह और उनके सलाहकारों को जो पर्दे के पीछे रह कर काम करते हैं। यह वजह है कि सन 1973 से इस्राईल ने इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ जो भी युद्ध आरंभ किया, उसमें उसे लज्जाजनक पराजय का मुंह देखना पड़ा और आने वाला युद्ध जो हमारे हिसाब से बहुत जल्द होगा, इस से अपवाद नहीं है।