AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
गुरुवार

15 नवंबर 2018

5:16:18 pm
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सऊदी अरब किन कारणों से अफ़ग़ानिस्तान में विश्व विद्यालय बनाना चाहता है?

भौगोलिक दृष्टि से अफ़ग़ानिस्तान का नंगरहार प्रांत पाकिस्तान से मिलने वाली सीमा पर स्थित है और अब यह अतिवादी और आतंकवादी तत्वों की गतिवियों का गढ़ बन चुका है।

अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ़ ग़नी ने एक बार फिर सऊदी अरब द्वारा नंगरहार प्रांत में इस्लामी विश्व विद्यालय बनाये जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि यह बात सही नहीं है कि नंगरहार प्रांत के बजाये यह इस्लामी विश्व विद्यालय काबुल में बनाया जायेगा।

यह ऐसी स्थिति में है जब अफ़ग़ानिस्तान में बहुत से राजनीतिक और धार्मिक हल्कों का मानना है कि सऊदी अरब इस्लामी विश्व विद्यालय की आड़ में धर्मभ्रष्ट वहाबी विचारधारा को फैलाने के केन्द्र की स्थापना के प्रयास में है।

सूत्रों के अनुसार इस विद्यालय के निर्माण पर 50 करोड डॉलर का खर्च आयेगा। भौगोलिक दृष्टि से अफ़ग़ानिस्तान का नंगरहार प्रांत पाकिस्तान से मिलने वाली सीमा पर स्थित है और अब यह अतिवादी और आतंकवादी तत्वों की गतिवियों का गढ़ बन चुका है।

आले सऊदी की नीतियों की समीक्षा इस बात की सूचक है कि उसने हालिया वर्षों में वहाबी विचार धारा के प्रचार- प्रसार के लिए बहुत अधिक धन ख़र्च किया है और उसका परिणाम हिंसा और आतंकवाद में विस्तार रहा है।

इस समय पाकिस्तान में 20 से अधिक धार्मिक मदरसे हैं जो सऊदी अरब के समर्थन से चल रहे हैं और उनमें वहाबियत, हिंसा और अतिवाद की भी शिक्षा दी जाती है।

अफ़ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रांत में सऊदी अरब द्वारा बनाये जाने वाले तथाकथित इस्लामी विश्व विद्यालय का विश्लेषण करते हुए रूस की स्पूतनिक न्यूज़ एजेन्सी ने लिखा है कि इस विश्व विद्यालय में अरबी भाषा में शिक्षा दी जायेगी जबकि अब तक अफ़ग़ानिस्तान के विश्व विद्यालयों यहां तक कि धार्मिक मदरसों में भी शिक्षा वहां की स्थानीय भाषा में दी जाती है।

इस आधार पर अफ़ग़ानिस्तान में सऊदी अरब के दीर्घकालिक लक्ष्य हैं जो बहुत ख़तरनाक हैं।

सऊदी अरब ऐसी स्थिति में अफ़ग़ानिस्तान में अपना प्रभाव अधिक करने के लिए प्रयास कर रहा है जब हालिया वर्षों में इस संबंध में उसके प्रयास विफल रहे हैं।

यद्यपि हालिया वर्षों में अफ़ग़ानिस्तान को गृहयुद्ध का सामना है परंतु वहां के लोग एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते रहे हैं और अफ़ग़ानिस्तान में बहुत से लोग वहाबियत के समर्थक नहीं हैं इसी कारण आले सऊद शासन इस्लामी विश्व विद्यालय की आड़ में अफ़ग़ानिस्तान में अपने लक्ष्यों को व्यवहारिक बनाने की चेष्टा में है।