AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शनिवार

13 अक्तूबर 2018

8:05:42 am
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सय्यद हसन नसरुल्लाह ने अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के 12 मिनट वाले बयान के पीछे लक्ष्य से पर्दा उठाया

लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन के महासचिव ने कहा है कि अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प अरब देशों को हथियार बेचने के लिए ईरानोफ़ोबिया का नाम ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति की ईरानोफ़ोबिया पर आधारित भाषा के ज़रिए पश्चिम एशियाई क्षेत्र के अरब देशों को ब्लैकमेल करने की कोई हद नहीं है।

सय्यद हसन नसरुल्लाह ने लेबनान की राजधानी बैरूत में शुक्रवार की शाम टेलीविजन के ज़रिए अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि ट्रम्प के इस ताज़ा बयान का कि ईरान पश्चिम एशियाई देशों पर "12 मिनट" में नियंत्रण करने की योजना बना रहा था, अर्थ क्षेत्रीय शासकों को उनके शासन की रक्षा के बदले में उन्हें बहुत अधिक पैसे देने के लिए फुसलाना है।

सय्यद हसन नसरुल्लाह ने अपने इस बयान के समर्थन में कहाः "जैसा कि इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने कहा था कि अमरीकी सरकार चोरों का प्रशासन है। यह चोर शासन है। पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति भी चोर थे लेकिन वे खुल्लम खुल्ला अपनी बुराई को ज़ाहिर नहीं करते थे जबकि मौजूदा राष्ट्रपति अरब नेताओं को लूटने के साथ साथ उन्हें अपमानित भी कर रहे हैं।

उन्होंने कहाः "ट्रम्प अपने बयान में नैतिकता, मानवाधिकार और न्याय को तनिक भी अहमियत नहीं देते। हमारे सामने ऐसा अमरीकी शासन है जो अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करता और हर किसी को भी अपमानित करता है चाहे वह उसका दोस्त व घटक ही क्यों न हो।"

उन्होंने कहा कि ट्रम्प ईरान विरोधी स्वर के ज़रिए अरब देशों को अरबों डॉलर के हथियार बेचना चाहते हैं।

सय्यद हसन नसरुल्लाह ने अरब देशों से अमरीका पर अपनी निर्भरता पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा कि अमरीका वही देश है जिसने ईरान के पूर्व अपदस्थ शासक मोहम्मद रज़ा शाह को कैंसर के एलाज के लिए वीज़ा देने से मना कर दिया था जबकि वह अमरीका का घटक था।

उन्होंने कहाः "अरब देशों को चाहिए कि वे ट्रम्प को अरबों डॉलर देने के बजाए उसे अपनी राष्ट्रीय समस्याओं को हल करने पर ख़र्च करें।"