AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
मंगलवार

28 अगस्त 2018

2:21:17 pm
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दुबई एयरपोर्ट पर यमन का ड्रोन हमला, सऊदी अरब और इमारात को कड़ा संदेश

यमन की सेना के प्रवक्ता शरफ़ लुक़मान ने घोषणा की कि सोमवार की रात यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने संयुक्त अरब इमारात के दुबई एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला किया और इस हमले से साबित हो गया है कि पूरा इमारात यमन की सेना के हथियारों की रेंज में है।

शरफ़ लुक़मान का कहना था कि यमन के मिसाइल और ड्रोन विमान इमारत की वायु रक्षा व्यवस्था को भेदते हुए इस देश के किसी भी भाग और प्रतिष्ठान को निशाना बनाने में सक्षम हैं। यमन की सेना ने इस हमले के लिए सम्माद-3 नामक ड्रोन प्रयोग किया। इससे पहले गत 26 जुलाई को भी इसी ड्रोन से दुबई के एयरपोर्ट पर हमला किया गया था।

सऊदी अरब और इमारात ने अपने कुछ घटकों के साथ मिलकर पिछले लगभग चार साल से यमन का हर तरफ़ से परिवेष्टन कर रखा है लेकिन इसके बावजूद यमन की रक्षा शक्ति में तेज़ी से विस्तार हो रहा है। सऊदी अरब के भीतर भी यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों ने अनेक प्रतिष्ठानों को अपने मिसाइलों और ड्रोन विमानों से निशाना बनाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया है।

सऊदी अरब ने इमारात तथा कुछ अन्य देशों के साथ मिलकर यमन जैसे ग़रीब देश पर हमला कर दिया ताकि इस देश में वही सरकार बने जो इन देशों को पसंद हो। इसके हमले के लिए दोनों ही देशों ने बहुत से बहाने गढ़े। इन देशों को यह ग़लत फ़हमी थी कि वह यमन पर हमला करके वहां की सेना तथा प्रतिरोधक शक्तियों को ध्वस्त कर देंगे फिर यमन के भविष्य का फ़ैसला अपनी इच्छा के अनुसार कर लेंगे मगर इन देशों के सारे अनुमान ग़लत साबित हो गए और अब खुद इन हमलावरों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ चुकी है।

अमरीकी मैगज़ीन फ़ोर्ब्स ने इमारात और सऊदी अरब पर यमन के ड्रोन हमलों के बारे में एक रिपोर्ट में लिखा है कि यमन का अंसारुल्लाह आंदोलन युद्ध को सऊदी अरब और इमारात के भीतर ले जाने में कामयाब हो गया है।

अंसारुल्लाह आंदोलन के प्रमुख अब्दुल मलिक अलहौसी ने अपने भाषण में उद्योगपतियों और निवेशकों को सुझाव दिया कि वह इमारात और सऊदी अरब के अलावा कोई जगह चुनें क्योंकि यमन के बारे में इन देशों ने जो नीति अपनाई है और जिस तरह वह यमन को ध्वस्त कर रहे हैं उसे देखते हुए यमन की सेना और स्वयंसेवी बल इन देशों के सैनिक और आर्थिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाएंगे अतः यह दोनों ही देश अब निवेश के लिए सुरक्षित नहीं रह गए हैं।

टीकाकार यह कहते हैं कि सऊदी अरब के ना समझ और अनुभवहीन युवा नेतृत्व ने युद्ध शुरू करके निश्चित रूप से यमन के आम नागरिकों को बड़ी संख्या में मारा और इस देश का बुनियादी ढांचा ध्वस्त करके रख दिया लेकिन यह भी सही है कि इस नेतृत्व ने सऊदी अरब को बहुत गंभीर नुक़सान पहुंचाया है।

यमन ने जवाबी हमले करके साबित कर दिया है कि इस देश के राजनैतिक पटल को सऊदी अरब और इमारात अपनी मर्ज़ी और मनमानी के अनुसार ढाल नहीं पाएंगे बल्कि यमन की जनता ही इस देश का भविष्य तय करेगी।