उन्होंने इस देश के स्वतंत्रता दिवस पर संसद में अपने भाषण के दौरान इस देश के धर्मगुरुओं से एक बार फिर सहयोग की अपील की। दर अस्ल हालिया दिनों में पूर्वी जावा में एक आतंकवादी हमले में 30 से अधिक लोगों की मृत्यु से इंडोनेशिया के समाज में दुख व सदमा है। द्वीप समूह होने और विभिन्न जातियों व समुदायों तथा के मध्य सांस्कृतिक व आर्थिक अंतर की वजह से इस देश में चरमपंथ और आतंकवाद को पनपने का अनुकूल वातावरण मिलता है इसके लिए अलावा, आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानूनों का अभाव भी इस समस्या के बढ़ने का एक कारण समझा जाता है। इन हालात में इंडोनेशिया की सरकार को यह लगता है कि यदि देश के धर्मगुरु सरकार का साथ दें और चरमपंथ व आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में सरकार के साथ सहयोग करें तो इस समस्या पर किसी सीमा तक नियतंत्रण किया जा सकता है। इस देश के राष्ट्रपति को आशा है कि धर्मगुरु, देश के युवाओं को सचेत करेंगे । अस्ल में मध्य पूर्व में आतंकवादी संगठन दाइश की पराजय के बाद इस के सदस्य, पाकिस्तान व अफगानिस्तान के अलावा इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे देशों का भी रुख कर रहे हैं जिसकी वजह से इन सभी देशों में चिंता की लहर दौड़ गयी है।
इसके साथ की दक्षिणपूर्वी एशिया में वहाबियत के प्रसार का खतरा भी चिंता का कारण बना है क्योंकि आतंकवादी इसी विचारधारा की कोख से जन्म लेता है और इसी विचार धारा की छाया में फलता फूलता है। यही वजह है कि इंडोनेशिया और मलेशिया में वहाबी विचारधारा और सऊदी अरब के खिलाफ सरकारी स्तर पर कुछ फैसले किये गये हैं जो निश्चित रूप से अच्छा संकेत है।