बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा तीन क्रांतिकारी युवाओं को फांसी देने के बाद, 14 फ़रवरी गठबंधन समेत इस देश के संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने जनता से कहा है कि तानाशाही शासन के ख़िलाफ़ जारी आंदोलन को तेज़ कर दे।
आले ख़लीफ़ा शासन ने रविवार की सुबह अपने विरोधी तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं को गोली मारकर मौत की सज़ा दे दी। इन लोगों के ऊपर 2014 में पुलिस पर हमला करने का झूठा आरोप था।
बहरैन में फ़रवरी 2011 से लोकतंत्र की मांग को लेकर जनांदोलन जारी है और लोग अपनी मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते रहते हैं। हालांकि आले ख़लीफ़ा का तानाशाही शासन लोगों की आवाज़ को दबाने के लिए नित नए अत्याचार कर रहा है और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं, राजनीतिज्ञों और धर्मगुरुओं को जेल की काल कोठरियों में ठूंस दिया गया है।
किसी भी अत्याचारी और तानाशाही शासन की तरह आले ख़लीफ़ा शासन भी फांसियां देकर, लोगों की हत्याएं करके और जेलों में ठूंसकर क्रांतिकारियों में भय उत्पन्न करना चाहता है। लेकिन इतिहास गवाह है कि जिस धरती पर भी ख़ून बहाकर और अत्याचार करके लोगों में भय उत्पन्न करने की कोशिश की गई है, नतीजा हमेशा उलटा निकला है और बड़े बड़े तानाशाहों का राजपाठ निर्दोष जनता के ख़ून में डूब गया है।
बहरैन में भी जैसे जैसे आले ख़लीफ़ा शासन के अत्याचार बढ़ रहे हैं, जनता के आक्रोश में वृद्धि हो रही है। इस तानाशाही शासन के अत्याचारों की आलोचना अब देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी व्यापक आलोचना शुरू हो गई है। यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने भी जो सामान्य रूप से आले ख़लीफ़ा शासन के अत्याचारों पर चुप्पी साधे रहते हैं, उसके जघन्य अपराधों की आलोचना की है।
source : तेहरान रेडियो
सोमवार
16 जनवरी 2017
6:08:30 pm
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बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन द्वारा तीन क्रांतिकारी युवाओं को फांसी देने के बाद, 14 फ़रवरी गठबंधन समेत इस देश के संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने जनता से कहा है कि तानाशाही शासन के ख़िलाफ़ जारी आंदोलन को तेज़ कर दे।