अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: अलमिनार टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, आले खलीफा सरकार ने सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से इस प्रकार की कार्यवाहियों में बढ़ोत्तरी की है। बहरैन की शाही अदालत ने सरकार विरोधी बहरैनी निवासियों पर आतंकवादी कृत्यों का आरोप लगा कर उन्हें दस साल क़ैद की सज़ा भी सुनाई है।
ग़ौरतलब है कि विभिन्न विरोधी समूहों के प्रमुख भी बहरैनी सरकार की गिरफ्तारी की चपेट में हैं। बहरैन की दिखावटी अदालत इससे पहले भी शाही सरकार की क्रूर कार्यवाहियों और मानवाधिकार के हनन का विरोध करने वालों और जनता के मौलिक अधिकारों का समर्थन करने वाले राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं की नागरिकता रद्द करने का फैसले जारी कर चुकी है।
बहरैन की अन्यायपूर्ण शाही सरकार ने पिछले बाईस जून को देश की सबसे बड़ी धार्मिक हस्ती आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम की नागरिकता रद्द करने का फैसला दिया था जिस पर पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों और धरनों की लहर शुरू हो गई थी जो अभी तक जारी है। दिखावटी अदालत का क्रूर फ़ैसला सादिर होते ही हजारों बहरैनी नागरिकों ने आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम के घर के सामने उनके समर्थन और आले खलीफा सरकार के विरोध में धरना शुरू कर दिया था जो अब भी जारी है।
बहरैन की दिखावटी अदालत ने देश में सामाजिक, राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नागरिकता रद्द करने का सिलसिला ऐसी हालत में जारी रखा है कि संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अनुसार किसी भी सरकार को अपने देशवासियों की नागरिकता रद्द करने का अधिकार नहीं है।
source : अबना
गुरुवार
27 अक्तूबर 2016
6:56:28 pm
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आले खलीफा सरकार ने सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से इस प्रकार की कार्यवाहियों में बढ़ोत्तरी की है। बहरैन की शाही अदालत ने सरकार विरोधी बहरैनी निवासियों पर आतंकवादी कृत्यों का आरोप लगा कर उन्हें दस साल क़ैद की सज़ा भी सुनाई है।