AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : तेहरान रेडियो
शुक्रवार

24 जून 2016

1:58:11 pm
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इमाम जुमा तेहरान:

बहरैन में आले ख़लीफ़ा शासन का पतन नज़दीक।

तेहरान के जुमे के इमाम ने आले ख़लीफ़ा शासन के इस देश की जनता के ख़िलाफ़ हिंसक व्यवाहर को अमानवीय बताते हुए इसके अंजाम की ओर से उसे सचेत किया है।

तेहरान के जुमे के इमाम ने आले ख़लीफ़ा शासन के इस देश की जनता के ख़िलाफ़ हिंसक व्यवाहर को अमानवीय बताते हुए इसके अंजाम की ओर से उसे सचेत किया है। 
तेहरान की जुमे की नमाज़, हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी की इमामत में पढ़ी गयी। उन्होंने जुमे की नमाज़ के विशेष भाषण में, बहरैन में जनता के ख़िलाफ़ आले ख़लीफ़ा शासन के बढ़ते दमन पर चिंता जताते हुए, बल दिया कि ये लोग सिर्फ़ अपना वैध अधिकार चाहते हैं जिसे वे शांतिपूर्ण ढंग से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
तेहरान के अस्थायी जुमे के इमाम हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने इस बात का उल्लेख करते हुए कि बहरैन में पिछले 5 साल से जनता को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का जवाब गोलियों से दिया जा रहा है, कहा कि आले ख़लीफ़ा शासन आले सऊद शासन की नीति का अनुसरण कर रहा है और बहरैन की पीड़ित जनता के ख़िलाफ़ किसी भी प्रकार के हिंसक व्यवहार में संकोच से काम नहीं ले रहा है।
उन्होंने बहरैन और सऊदी अरब में जारी दमन और धर्मगुरुओं की नागरिकता रद्द होने और उन्हें जेल में डालने पर चिंता जताते हुए कहा कि यह अमानवीय व्यवहार निंदनीय है और अगर यह अमानवीय व्यवाहर इसी तरह जारी रहा तो आले ख़लीफ़ा शासन और आले सऊद शासन का पतन होकर रहेगा।
तेहरान के जुमे के इमाम ने अपने भाषण में ज़ायोनी धर्मगुरुओं के उस फ़त्वे की भर्त्सना की जिसमें ज़ायोनी धर्मगुरुओं ने फ़िलिस्तीनियों के पीने के पानी में ज़हर की मिलावट को सही क़रार दिया है। हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने कहा कि ज़ायोनी धर्मगुरुओं की यह बर्बरता हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की शिक्षा से पूरी तरह विरोधाभास रखती है।
उन्होंने इसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यमनी बच्चों के जनसंहार की लिस्ट से सऊदी अरब का नाम हटाए जाने के क़दम की ओर इशारा करते हुए बल दिया कि इस क़दम से संयुक्त राष्ट्र संघ की साख को ऐसा नुक़सान पहुंचा है जिसकी भरपायी नहीं हो सकती।
तेहरान के जुमे के इमाम ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि यमन के विक्लांग बच्चों, घायलों, अनाथों व भूखे लोगों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र संघ के मौन का कोई औचित्य नहीं है, कहा कि इस संगठन की नैतिक रूप से वैधता पर सवालिया निशान लग गया है।