बहरैन में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का क्रम यथावत जारी है।
इस प्रकार की स्थिति में बहरैन की विभिन्न संस्थाओं और संगठनों में भी इस देश की तानाशाही सरकार की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध आपत्तियों में वृद्धि हो गयी है। इसी मध्य मनामा में ह्यूमन राइट्स वाच ने वर्ष 2015 में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की है।
ह्यूमन राइट्स वाच ने अपनी रिपोर्ट में पिछले वर्ष 156 व्यक्तियों की गिरफ्तारी की ओर संकेत किया और स्पष्ट किया है कि 14 फरवरी वर्ष 2011 को बहरैनी जनांदोलन के आंरभ से अब तक सैकड़ों बहरैनी नागरिकों को गिरफ्तार करके बहरैनी जेलों में बंद किया जा चुका है।
ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट के एक अन्य भाग में आया है कि बहरैन की राजधानी मनामा में पिछले वर्ष 101 शांतिपूर्ण प्रदर्शन और रैली हुई है। इसी प्रकार रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष बहरैनी अदालतों ने राजधानी मनामा में रहने वाले 165 व्यक्तियों को जेल की सज़ा सुनाई है।
वर्ष 2011 से बहरैनी जनांदोलन के आरंभ से इस देश में जनता का दमन जारी है।
बहरैनी जनता राजनीतिक सुधार, न्याय स्थापित करने और भेदभाव को समाप्त करने की मांग कर रही है परंतु बहरैन की तानाशाही सरकार देश की जनता की मांगों पर ध्यान देने के बजाये सऊदी और संयुक्त अरब इमारात के सैनिकों की सहायता से पिछले पांच वर्षों से जनता का दमन कर रही है।
वास्तविकता यह है कि बहरैन का जनांदोलन एक राष्ट्रीय जनांदोलन है और वह सांप्रदायिकवाद से दूर है तथा न केवल शीया बल्कि सुन्नी मुसलमान भी बहरैन की तानाशाही सरकार के अत्याचार और भेदभावपूर्ण रवइये से त्रस्त हैं।
बहरैन की तानाशाही सरकार के क्रियाकलाप इस बात के सूचक हैं कि इस सरकार ने मानवाधिकारों के हनन और विभिन्न शैलियों से जनता के दमन में विशेष स्थान प्राप्त कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे भयावह और दमनकारी सरकार के रूप में पहचाना जाता है।
source : तेहरान रेडियो
गुरुवार
12 मई 2016
5:54:37 pm
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ह्यूमन राइट्स वाच ने अपनी रिपोर्ट में पिछले वर्ष 156 व्यक्तियों की गिरफ्तारी की ओर संकेत किया और स्पष्ट किया है कि 14 फरवरी वर्ष 2011 को बहरैनी जनांदोलन के आंरभ से अब तक सैकड़ों बहरैनी नागरिकों को गिरफ्तार करके बहरैनी जेलों में बंद किया जा चुका है।