AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : wilayat.in
शुक्रवार

19 दिसंबर 2014

7:21:40 pm
659409

यमन को सऊदी अरब के अधीन नहीं जाने देंगे।

यमन को चाहे जितनी भी क़ुर्बानियां देना पड़ी लेकिन वह कभी भी सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के वर्चस्व में नहीं आएगा। यमन के प्रतिरोध गुट अंसारुल्लाह के लीडर ने, सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के अन्य देश और इसी तरह यमन के राष्ट्रपति की कड़ी आलोचना की और जोर देकर कहा कि ऐसे प्रमाणपत्र व सबूत उसके पास हैं जिनसे पता चलता है कि यह देश और इसी तरह यमन के राष्ट्रपति अलक़ायदा आतंकी गुट का समर्थन करते हैं।

यमन को चाहे जितनी भी क़ुर्बानियां देना पड़ी लेकिन वह कभी भी सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के वर्चस्व में नहीं आएगा। यमन के प्रतिरोध गुट अंसारुल्लाह के लीडर ने, सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के अन्य देश और इसी तरह यमन के राष्ट्रपति की कड़ी आलोचना की और जोर देकर कहा कि ऐसे प्रमाणपत्र व सबूत उसके पास हैं जिनसे पता चलता है कि यह देश और इसी तरह यमन के राष्ट्रपति अलक़ायदा आतंकी गुट का समर्थन करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, यमन के हौसियों (अंसारुल्लाह) के लीडर अब्दुल मलिक हौसी ने ख़ूलान के कबीलों के एक दल के साथ एक बैठक में फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के देशों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा: यमन को चाहे जितनी भी क़ुर्बानियां देनी पड़ें लेकिन वह कभी भी सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के वर्चस्व में नहीं आएगा और यमन के संबंध में इन देशों ने जो हाल ही में स्टैंड अपनाया है उस पर मुझे बहुत आश्चर्य है। उन्होंने ये भी बताया: फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के देश के एक बयान में जो लोगों को सुरक्षा देने वाली यमन की सार्वजनिक कमेटियों और सनआ व अन्य राज्यों में अन्य संस्थाओं के बारे में आया है कि इन कमेटियों ने यमन पर क़ब्जा कर लिया है, फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद उस प्रतिरोध गुट को कि जो अपनी ज़मीन पर जंग कर रहा है ग़ासिब बताती है। ग़ासिब होने के बारे में यह कौन सा नया दृष्टिकोण और सोच की शैली है?
हौसी ने फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के देशों को संबोधित करते हुए कहा: अच्छा होगा कि यह देश इस्राईल के साथ फ़िलिस्तीन के बारे में बात करें और फ़िलिस्तीन की जनता और मस्जिदुल अक़सा का समर्थन और अलकायदा के साथ जुड़ने के बजाये तकफीरियों और ज़ायोनी दुश्मन के खिलाफ एकजुट हो जाएं और ग़ासिब जायोनियों के खिलाफ थोड़ा साहस और हिम्मत का प्रदर्शन करें। उन्होंने कहा: उनमें से कुछ देश जिन्होंने यह बयान अमेरिका के समर्थन में जारी किया है यह वही है जो यमन के बाहर हजारों लोगों को अलबैज़ाय, मायरब और जूफ में खींच रहे हैं ताकि इन क्षेत्रों पर उनका वर्चस्व हो जाये।
हौसी ने याद दिलाया: अब्दुल रबह मंसूर हादी, यमन के राष्ट्रपति ने कहा कि 70 फीसदी यमन में अल कायदा के सदस्य विदेशी हैं, तो इस मामले में कौन ग़ासिब है, क्या यमन के प्रांतों के रहने वाले ग़ासिब हैं या वह जो दूसरे देशों के समर्थन से यमन में आते हैं और वहां अपने लिए ठिकाने बनाते हैं, सभी लोग जो बाहर से आते हैं अलकायदा के साथ और तकफीरियों के समर्थक हैं और वह देश की शांति को नष्ट व बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने ताकीद की: अमेरिका हमेशा दंगे और दंगाइयों का सबसे बड़ा समर्थक है और यही कारण है कि उसका रुख हमेशा यमन की जनता के के सिलसिले में नकारात्मक रहा है। हौसी ने इसी तरह यमन के राष्ट्रपति की कड़े शब्दों में आलोचना की और उस पर अलक़ायदा के समर्थन और मदद का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा: हादी ने खुद को भ्रष्टाचारियों और आतंकवादियों का दस्तावेज़ बना दिया है और हमारे पास ऐसे प्रमाण व सबूत हैं जिनसे पता चलता है कि देश के वरिष्ठ अधिकारी ख़ास कर राष्ट्रपति, अलक़ायदा का समर्थन करते हैं। यमन के प्रतिरोध गुट अंसारुल्लाह के लीडर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुये कहा: राष्ट्रपति मंसूर हादी को पिछले समूहों का बंदी नहीं होना चाहिए बल्कि उसे अपने रुख पर पुनर्विचार करना चाहिए, वरना हालात बहुत खराब हैं और कुछ स्ट्रॉटेजिक तरीके मौजूद हैं। उन्होंने हादी पर संधि और राष्ट्रीय संयुक्त सहयोग के प्रस्ताव के शुभारंभ में रूकावट पैदा करने का आरोप लगाया।
हौसी ने इसी तरह, अलतजम्मो अलयमनी लिलइस्लाह पार्टी पर यमन के कई प्रांतों में अलक़ायदा की मदद और समर्थन करने का आरोप लगाया और कहा: इस पार्टी की मुश्किल यह है कि इसके अर्धसैनिक बल अलक़ायदा के साथ, इरहब, अलजौफ, इमरान और मायरब में लड़ चुके हैं और हमेशा अलक़ायदा के साथ मिलकर लड़ते हैं, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि यह पार्टी अक़्ल व समझ से काम ले और अपनी ग़ल्ती को समझे। उन्होंने कहा: इरहब में जो गिरोह लड़ रहे थे वह देश के वित्तमंत्रालय से वेतन लेते थे हालांकि वह नरसंहार, लोगों की हत्या, विस्फोट और अपने ही देश के नागरिकों और सैनिकों को निशाना बनाते हैं। हमने सरकार से मांग की है कि अलबैज़ाअ में अपनी जिम्मेदारी का पालन करे, लेकिन सरकार ने विरोध किया और अलकायदा को उसने छोड़ दिया ताकि वह हर तरह के अपराध करते रहें क्योंकि कुछ विदेशी ताक़तें यही चाहती थीं।
हौसी ने यमन की जनता की क्रांति के परिणाम के बारे में बात की और कहा: यमन क्रांति के परिणामों में से एक चीज़ वह मौका है जो देश के निर्माण के संबंध में हाथ आया है, लेकिन हमें क्रांति को मजबूरन जारी रखना होगा। हमारी जनता अदालत के लागू होने के इच्छुक हैं और वह चाहते हैं कि मौजूदा समय में जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया है वह इन विभागों से बाहर निकलें। उन्होंने याद दिलाया: भ्रष्टाचार ने देश के सभी विभागों को अपनी चपेट में ले लिया है और सभी उपाय जो बाह्य स्तर पर किए जा रहे हैं चाहे सुरक्षा परिषद की हद तक हों या कुछ देशों द्वारा किए जा रहे हों, वह सब भ्रष्टाचारों के पक्ष में हैं।
उन्होंने कहा: इस समय सुरक्षा और सैन्य संस्थानों में भी कानून की अनदेखी हुई है अगर राजनीतिक दल जनता के हित में काम करते तो वह हालात बदल सकते थे, लेकिन इसके बावजूद लोग हरगिज़ चुप नहीं बैठेंगे और अपने वैध मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रखेंगे। हौसी ने याद दिलाया: भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग असली समस्या है कि मजबूरी में उसको प्राथमिकता देनी पड़ेगी, हम जनता के समर्थन के बूते पर ऐसा कर रहे हैं और हरगिज़ इजाज़त नहीं देंगे कि देश बरबादी और विनाश की ओर जाए।