एक बहरैनी महिला ने मनामा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर तीसरी बार धरना देकर ऑले ख़लीफा सरकार की जेल से अपने पति और बेटे की रिहाई की मांग की है।
अलविफ़ाक़ समाचार वेब साइट की रिपोर्ट के अनुसार ऑले ख़लीफ़ा सरकार ने बहरैनी नौजवान बीस वर्षीय अली और उसके पचास वर्षीय पिता हसन आदम को जांच के दौरान बुरी तरह यातनाएं पहुँचाई और दोनों की बहरैनी नागरिकता ख़त्म करके उन्हें सात साल और पांच साल कैद की सजा सुनाई है।
बीस वर्षीय युवा अली की मां ने बताया कि ऑले ख़लीफा सरकार के कारिंदों के माध्यम से दी गई सख़्त यातनाओं की वजह से उसके बेटे की 70 प्रतिशत नज़र ख़त्म हो गई है। बहरैनी महिला जो अपने पति और बेटे की गिरफ्तारी के बाद अनगिनत कठिनाइयों का सामना कर रही है, उन दसियों बहरैन महिलाओं में से एक है जिनके परिवार पर ऑले खॉलीफ़ा शाही सरकार, बर्बर अत्याचार कर रही है और अब इन अत्याचारों से तंग आकर इस तरह की महिलाएं सड़कों पर निकल आई हैं।
बहरैन में फ़रवरी 2011 ऑले ख़लीफा हुकूमत की क्रूर और भेदभाव पर आधारित नीतियों के खिलाफ़ जनता के शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी हैं जिनके दौरान बहरैन सुरक्षा बल और सऊदी अरब के सैन्य अधिकारियों ने सैकड़ों बहरैनी नागरिकों को शहीद और घायल कर दिया है।
source : wilayat.in
मंगलवार
16 दिसंबर 2014
12:11:35 pm
658697
एक बहरैनी महिला ने मनामा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर तीसरी बार धरना देकर ऑले ख़लीफा सरकार की जेल से अपने पति और बेटे की रिहाई की मांग की है।