जैसे ही सूर्यास्त होता है और आखिरी पर्यटक उनके विशाल और मनमोहक महल से विदा होता है वैसे ही वह बिल्कुल अकेले पड़ जाते हैं। अतीत की स्मृतियां उन्हें घेरने लगती हैं। वैसी स्मृतियां जिन्हें उन्होंने कंबोडिया का राजा बनने से पहले जी थी।
कंबोडियाई राजा नोरोडोम सिहामोनी भले ही दो हजार साल पुराने वंश के उत्तराधिकारी और देश के राजा हों, लेकिन उन्हें यह सब रास नहीं आता। रह-रहकर यूरोपीय कला उन्हें अपने पास खींचती है और उन्हें वह समय याद आने लगता है जब कंबोडिया आने से पहले वह यूरोप में एक बैले नर्तक थे। लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि वक्त बदल चुका है। देश की वर्तमान राजनीति उन्हें परेशान करने लगती है।
सिहामोनी के नजदीकी सहयोगी और विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा लगता है मानों वह अपने ही महल में कैदी बन गए हैं। दूसरी तरफ देश के वर्तमान प्रधानमंत्री हून सेन के बारे में लोगों की अलग-अलग राय है। एक तरफ जहां उन्हें बहुत अच्छा और चालाक बताया जाता है, वहीं कुछ लोग उन्हें निर्दयी की भी संज्ञा देते हैं।