.قَالَ (علی علیه السلام )کُنْ فِی الْفِتْنَهِ کَابْنِ اللَّبُونِ لَا ظَهْرٌ فَیُرْکَبَ وَ لَا ضَرْعٌ فَیُحْلَبَ
इमाम अली अ.स.
फ़ित्ने और फ़साद में उस तरह रहो जिस तरह ऊंट का वह बच्चा जिसने अभी अपनी उम्र के दो साल ख़त्म किए हैं कि न तो उसकी पीठ पर सवारी की जा सकती है और न उसके थनों से दूध दुहा जा सकता है।
कलेमाते क़ेसार 1