AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
सोमवार

29 अप्रैल 2024

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क़ुरआनी चर्चा

अहंकार और घमंड पतन की शुरुआत

कोई भी क़ौम संघर्ष के बिना, प्रयास के बिना, नए बदलाव के बिना, नए विचारों के बिना और विकास के विभिन्न चरणों से गुज़रे बिना किसी स्थान पर नहीं पहुंच सकती, यह सही है लेकिन बरकत अल्लाह देता है, तौफ़ीक़ अल्लाह देता है।

समाज, क़ौम और उन पर शासन करने वाले शासकों का अहंकार और घमंड हमेशा उनके पतन और पिछड़ जाने का कारण बनता है। किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि "मैंने यह किया" मैंने वह किया। अल्लाह तआला क़ुरआने मजीद में क़ारून का कथन नक़ल करते हुए बड़े सख़्त और मज़ाक़ उड़ाने वाले लहजे में बयान फार्मा रहा है कि क़ारून ने कहा: "मुझे तो यह मेरे अपने इल्म की वजह से मिला है।" (सूरए क़सस, आयत 78) यानी मैं अपनी क़ाबिलियत और क्षमता से इस मुक़ाम तक पहुंचा हूँ! अल्लाह तआला ने उसे पाताल की गहराइयों में पहुँचा दिया।

हमें कोशिश करनी चाहिए, हमें संघर्ष करना चाहिए। कोई भी क़ौम संघर्ष के बिना, प्रयास के बिना, नए बदलाव के बिना, नए विचारों के बिना और विकास के विभिन्न चरणों से गुज़रे बिना किसी स्थान पर नहीं पहुंच सकती। यह सही है लेकिन बरकत अल्लाह देता है, तौफ़ीक़ अल्लाह देता है।

आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनेई

28 जून, 2005