इंसान को अपने घर वालों के साथ ख़ुश मिज़ाज होना चाहिए। एक ऐसी मुसीबत है जिसमें हमारे बहुत से मोमिन और अच्छे लोग भी फंसे हुए हैं। बहुत अच्छे लोग हैं लेकिन अपने बाल बच्चों के साथ चिड़चिड़े, तुनुक मिज़ाज और कठोर हैं कि जो बहुत ही बुरी चीज़ है। अगर आप सोचें और ग़ौर करें तो देखेंगे कि इस एक जुमले के पीछे कि, इंसान को अपने बाल बच्चों के साथ खुश अख़लाक़ी से रहना चाहिए, गहरे राज़ छिपे हुए हैं। अलबत्ता यह चीज़ ज़्यादातर मर्दों में पाई जाती है लेकिन कुछ औरतें भी ऐसी होती हैं। मगर आमतौर पर यह समस्या ज़्यादातर मर्दों में पाई जाती है जिनका रवैया घर में बाल बच्चों के साथ कभी कभी बड़ा ज़ालिमाना होता है, किसी और बात पर उनका मूड ख़राब है, किसी ने उनकी बेइज़्ज़ती की है, बुरा-भला कहा है, और इसका ग़ुस्सा बाल बच्चों पर निकालते हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई
15 फ़रवरी 2004