اَللّهُمَّ اجْعَلْنِی فِیهِ مُحِبّا لِأَوْلِیائِک وَ مُعَادِیا لِأَعْدَائِک مُسْتَنّا بِسُنَّةِ خَاتَمِ أَنْبِیائِک یا عَاصِمَ قُلُوبِ النَّبِیینَ
ख़ुदाया आज के दिन मुझे अपने दोस्तों का दोस्त और अपने दुश्मनों को दुश्मन क़रार दे और मुझे पैग़म्बर स.अ. की सुन्नत पर बाक़ी रख, ऐ नबियों के दिलों की हिफ़ाज़त करने वाले।