AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
रविवार

31 मार्च 2024

9:26:49 am
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इमाम अली अ. की वसीयतें अपने चाहने वालों के नाम

- पैग़म्बर के सहाबियों और उनके सच्चे क़रीबी लोगों का ख़्याल रखो, क्योंकि पैग़म्बर ने इन लोगों के लिए विशेष हुक्म दिया था।

आप की वसीयतें अलग अलग किताबों में अलग अलग प्रकार से बयान हुई हैं, यहाँ हम शिया सुन्नी की अहम किताबों से आप की वसीयत को पेश कर रहे हैं।

आप ने बिस्मिल्लाह के बाद फ़रमाया, यह वसीयत अली (अ.स.) की सभी लोगों के नाम, अली (अ.स.) सबसे पहले अल्लाह की तौहीद की गवाही देता हूँ, और हज़रत मोहम्मद स.अ. को अल्लाह का बंदा और उसका नबी ऐलान करता हूँ, अल्लाह ने उन्हें लोगों की हिदायत के लिए भेजा, बेशक हमारी नमाज़ें, इबादतें और हमारा जीवन और मौत सब अल्लाह ही के लिए और उसी की ओर से है, और उसका कोई साथी नहीं है, और मुझे इन बातों को बताने का हुक्म मिला है, और मैं उसकी मर्ज़ी के आगे ख़ामोश हूँ।

ऐ मेरे बेटे हसन (अ.स.) मेरी यह वसीयत आप और सभी मेरे बच्चों और मेरे घर वालों और उन सभी के नाम जिन तक मेरी यह वसीयत पहुँचे....

- कभी तक़वे के दामन को हाथ से मत छोड़ना, और मरते दम तक अल्लाह के दीन पर बाक़ी रहना।

- अल्लाह की रस्सी को सब एक साथ मज़बूती से पकड़ लो, और ईमान के नाम पर एकजुट रहो, एक दूसरे से जुदा मत हो, मैंने पैग़म्बर से सुना है, लोगों के बीच आपसी मतभेद ख़त्म करवाना हर समय नमाज़ पढ़ने और हर दिन रोज़ा रखने से बेहतर है, और दीन को मिटा देने वाली चीज़ फ़साद और आपस में फूट पड़ना है।

- रिश्तेदारों को हमेशा याद रखो, उनसे हमेशा मेल जोल रखो, कि यही आपसी मेल जोल और प्यार मोहब्बत मरने के बाद के हिसाब को आसान करता देता है।

- यतीमों का विशेष ध्यान रखो, कहीं ऐसा न हो वह भूखे और ला वारिस रह जांए।

- पड़ोसियों से ख़ुशी से मिलो, पैग़म्बर ने पड़ोसियों का इतना ख़्याल रखते थे कि कभी कभी लगता था कि वह उन्हें मीरास में शरीक कर देंगे।

- ख़ुदा के वास्ते, क़ुर्आन के बारे विशेष ध्यान रखो, कहीं ऐसा न हो कि दूसरे लोग तुम से अमल में आगे निकल जांए।

- अल्लाह के लिए, नमाज़ का ख़्याल करो, क्योंकि नमाज़ दीन का सुतून है।

- ख़बरदार, काबे का ध्यान रखो, कहीं ऐसा न हो कि कोई हज करने न जाए, क्योंकि अगर हज छोड़ दिया गया तो दुश्मन तुम पर हावी हो जाएगा।

- रोज़े का विशेष ध्यान रखो, क्योंकि रोज़ा, जहन्नुम की आग से बचाने में ढ़ाल का काम करता है।

- ख़बरदार अल्लाह की राह में माल और जान की क़ुर्बानी देने से पीछे मत हटना।

- ख़बरदार ज़कात देना मत भूलना, क्योंकि यह जहन्नुम की आग बुझाने में मददगार है।

- नबियों की उम्मत का विशेष ध्यान रखो, कहीं कोई उन पर कोई अत्याचार न करने पाए।

- पैग़म्बर के सहाबियों और उनके सच्चे क़रीबी लोगों का ख़्याल रखो, क्योंकि पैग़म्बर ने इन लोगों के लिए विशेष हुक्म दिया था।

- ग़रीबों और फ़क़ीरों को अपनी ख़ुशियों में शामिल करो।

- ग़ुलामों और कनीज़ों का ध्यान रखो, क्योंकि पैग़म्बर ने अपनी अंतिम वसिय्यत इन्हीं के बारे में की थी।

- लोगों से अच्छी तरह मिलो, जैसाकि क़ुर्आन ने भी ताकीद की है।

- कभी अम्र बिल मारूफ़ और नहि अनिल मुन्कर को मत छोड़ना, क्योंकि इसके छोड़ने का असर यह होगा कि बुरे और नापाक लोग आप पर हावी हो कर अत्याचार करेंगे, और ऐसे समय में अच्छे और नेक लोगों की दुआ भी क़ुबूल नहीं होगी।

- अपने आपसी संबंधों को बढ़ाओ, एक दूसरे से नेकी करें, और आपसी फूट से बचो।

- नेक कामों को एक दूसरे की मदद से करो, और गुनाहों और उन कामों जिन से आपसी फूट, नफ़रत और दूरी पैदा हो दूरी करो।

- हर समय और हर हाल में अल्लाह का डर दिल में रखो, क्योंकि उसका अज़ाब बहुत दर्दनाक है।

 (काफ़ी, जिल्द 7, पेज 51, नहजुल बलाग़ह, ख़त न. 47, शरहे इब्ने अबिल हदीद, जिल्द 6, पेज 120, मुरव्वेजुज़-ज़हब, जिल्द 2, पेज 425, तोहफ़ुल-उक़ूल, पेज 197, मन ला यहज़ोरोहुल फक़ीह, जिल्द 4, पेज 142, तारीख़े तबरी, जिल्द 6, पेज 85)